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बनारस की गलियों में किसका चलेगा जोर, देखें इन आंकड़ों को जो बदल सकतीं हैं तश्वीरें

varansi election बनारस की गलियों में किसका चलेगा जोर, देखें इन आंकड़ों को जो बदल सकतीं हैं तश्वीरें

नई दिल्ली। इस वक्त उत्तर प्रदेश की कई सीटें ऐसी हैं जिनपर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं उन्हीं में से एक है वाराणसी लोकसभा सीट जहां पर संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो रहीं हैं।
केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र में राहुल गांधी के समर्थन में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यह बात कही। वायनाड लोकसभा क्षेत्र में राहुल गांधी के समर्थन में प्रचार के लिए दो दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचीं थीं प्रियंका गांधी।

राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं। प्रियंका गांधी ने कहा, ‘अगर राहुल गांधी कहेंगे तो मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हूं और मैं वाराणसी से लड़ूंगी।’ लेकिन यदि ऐसा संभव हुआ तो बनारस के लिए नीचे दिए गए आंकड़े हो सकते हैं परिणामों को पलटने वाले-

  • 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थे। नरेंद्र मोदी अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अरविन्द केजरीवाल से तकरीबन 3 लाख 77हज़ार वोटों से हराया था। दूसरे स्थान पर रहने वाले आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले।
  • जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के अजय राय को 75,614 वोट, बीएसपी को तकरीबन 60 हज़ार 579 वोट, सपा को 45291 वोट मिले थे। यानि सपा-बसपा और कांग्रेस का वोट जोड़ दे तो 3लाख 90 हज़ार 722 वोट हो जाते हैं।
  • मतलब पीएम मोदी की जीत जो अंतर था वह सभी दलों के संयुक्त वोट बैंक से पीछे हो जाता है। सवाल इस बात है कि जिस तरह से सपा-बसपा ने रायबरेली और अमेठी में अपने प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है अगर प्रियंका वाराणसी से चुनाव लड़ती हैं तो क्या उनके लिए भी रास्ता खाली कर दिया जाएगा।
  • बात जातिगत समीकरण की करें तो वाराणसी में बनिया मतदाता करीब 3।25 लाख हैं जो कि बीजेपी के कोर वोटर हैं। अगर नोटबंदी और जीएसटी के बाद उपजे गुस्से को कांग्रेस भुनाने में कामयाब होती है तो यह वोट कांग्रेस की ओर खिसक सकता है।
  • वहीं ब्राह्मण मतदाता हैं जिनकी संख्या ढाई लाख के करीब है। माना जाता है कि विश्वनाथ कॉरीडोर बनाने में जिनके घर सबसे ज्यादा हैं उनमें ब्राह्मण ही हैं और एससी/एसटी संशोधन बिल को लेकर भी नाराजगी है।
  • यादवों की संख्या डेढ़ लाख है। इस सीट पर पिछले कई चुनाव से यादव समाज बीजेपी को ही वोट कर रहा है। लेकिन सपा के समर्थन के बाद इस पर भी सेंध लग सकती है।
  • वाराणसी में मुस्लिमों की संख्या तीन लाख के आसपास है। यह वर्ग उसी को वोट करता है जो बीजेपी को हरा पाने की कुवत रखता हो।
  • इसके बाद भूमिहार 1 लाख 25 हज़ार, राजपूत 1 लाख, पटेल 2 लाख, चौरसिया 80 हज़ार, दलित 80 हज़ार और अन्य पिछड़ी जातियां 70 हज़ार हैं। इनके वोट अगर थोड़ा बहुत भी इधर-उधर होते हैं तो सीट का गणित बदल सकता है।
  • आंकड़ों के इस खेल को देखने के बाद अगर साझेदारी पर बात बनी और जातीय समीकरण ने साथ दिया तो प्रियंका गांधी मोदी को टक्कर दे सकती हैं।
  • हालांकि मोदी ने जिस तरह से पिछले साढ़े चार सालों में वाराणसी में विकास के जो काम किया है क्या उसे नजरंदाज किया जा सकता है, यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है।    -NDTV

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