बीजिंग। चीन ने पाकिस्तान की भारत के शांतिवार्ता की पहल का समर्थन किया है। चीन ने कश्मीर का नाम लिए बगैर कहा कि पाक और भारत के बीच सालों से चल रहे विवाद बातचीत से हल किए जा सकते हैं। जुलाई में चुनाव में जीत हासिल करने के बाद इमरान ने अपने पहले भाषण में भारत के साथ विवाद खत्म करने के लिए बातचीत की इच्छा जताई थी। बीते कुछ सालों से चीन न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में प्रवेश के लिए पाकिस्तान का समर्थन और भारत का विरोध कर रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन के दौरे पर गए थे। चीन ने पाकिस्तान को हर जरूरी मदद देने का भरोसा दिया है। दोनों देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने सहित 16 करार पर दस्तखत किए हैं। इसके तहत चीन, पाकिस्तान में इन्फ्रास्ट्रक्चर, वानिकी, पृथ्वी विज्ञान, कृषि के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र के कई प्रोजेक्ट पर काम करेगा। चीन के उपविदेश मंत्री कांग शुआनयू ने हालांकि यह नहीं बताया कि यह मदद किस तरह की और कितनी होगी।
मुलाकात के बाद दोनों देशों का संयुक्त बयान जारी किया गया
बता दें कि इमरान और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों का संयुक्त बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि चीन बातचीत, आपसी सहयोग के जरिए पाक के शांति स्थापित करने के प्रयासों की सराहना करता है। पाकिस्तान ने आपसी सम्मान बनाए रखते हुए भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए और विवादों को हल करने के लिए जो कदम उठाए हैं, वो काबिले तारीफ है।चीन के मुताबिक- पाकिस्तान आतंकवाद के खात्मे के लिए कार्रवाई कर रहा है। वहां की सरकार ने टेरर फंडिंग पर रोक लगाई है। सरकार ने सभी पार्टियों से कहा है कि आतंकरोधी प्रयासों में साथ दें।
सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंकियों के लॉन्चिंग पैड ध्वस्त कर दिए थे
वहीं 18 सितंबर 2016 में उड़ी हमले के बाद भारतीय कमांडो ने 28-29 सितंबर की दरमियानी रात पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए आतंकियों के लॉन्चिंग पैड ध्वस्त कर दिए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत बंद हो गई थी। कश्मीर मुद्दे पर चीन का हमेशा से यही कहना रहा है कि बातचीत के जरिए ही यह विवाद करना चाहिए। इस बारे में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले ही साफ कर चुकी हैं कि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।
भारत 48 सदस्यों वाले एनएसजी में शामिल होना चाहता है
साथ ही भारत 48 सदस्यों वाले एनएसजी में शामिल होना चाहता है लेकिन चीन, एनएसजी में पाकिस्तान की एंट्री चाहता है। अमेरिका समेत यूरोप के कई देश भारत का समर्थन कर चुके हैं। चीन यह कहकर अड़ंगा लगाता रहा है कि ग्रुप में किसी भी देश को तब तक एंट्री नहीं मिल सकती जब तक वह परमाणु अप्रसार संधि (नॉन प्रोलिफिरेशन ट्रीटी- एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं कर देता। भारत ने अब तक एनपीटी पर साइन नहीं किए हैं।