नई दिल्ली। सावन का महीना काफी पवित्र महीना होता है। कहते हैं कि ये महीना धार्मिक लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है जिसमें शिव जी हर भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते है। इस सावन के महीने में कांवड़िये बाबा धाम की अलग अलग जगहों पर पैदल कांवड़ लाकर शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. इसे पुण्यकर्म माना गया है। माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि को सच्चे मन से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। इस बार की शिवरात्रि 9 अगस्त (गुरुवार) को पड़ रही है।
सावन की शिवरात्रि का महत्व
धर्मगुरूओं का कहना है कि इस साल शिवरात्रि पर एक शुभ संयोग बन रहा है। शुभ संयोग में सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से शुभ फल प्राप्त होगा। धर्मगुरूओं के मुताबिक, साल में 12 शिवरात्रि होती हैं। लेकिन इनमें से महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। अगर कोई महिला या युवती 16 सोमवार के बाद शिवरात्रि का व्रत रखती है तो उसके कष्टों का निवारण होता है।
इसके साथ ही 9अग्सत को शिवरात्रि के साथ साथ प्रदोष व्रत भी है आपको बता दें कि 7.06 बजे सूर्यास्त से 9.01 बजे तक प्रदोष का समय है। प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करना अति लाभकारी है। रात 10.45 बजे त्रयोदशी की समाप्ति है। जलाभिषेक के लिए नौ अगस्त को सुबह चार से 8.45 का समय शुभ माना गया है।
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