लखनऊ: कोरोना की दूसरी लहर को लेकर शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। कोविड अस्पतालों में बेड से लेकर वेन्टीलेटर की मौजूदा स्थिति को और बेहतर किया जा रहा हैं। वहीं कोरोना की दूसरी लहर की आशंका से पिछले करीब 12 महीनों से ड्यूटी कर रहे स्वास्थ कर्मियों पर मानसिक तनाव और बढ़ गया है।
स्वास्थ कर्मचारियों का कहना है कि लोगों की लापरवाही का भुगतान उन्हें करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए देश में मार्च के महीने में लॉक डाउन किया गया था। इसके बाद कोरोना से लड़ने के लिए फ्रंट लाइन पर स्वास्थ कर्मियों को उतारा गया। इस दौरान कई कोरोना वारियर्स इसकी जद में आए तो कई डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ को इसने निगल भी लिया।
लोगों की लापरवाही पड़ रही भारी
कोविड कमांड कन्ट्रोल रूम में मार्च से लगातार ड्यूटी कर रहे डॉ रवि पांडेय गंभीर मरीजों की शिफ्टिंग का प्रभार सभाल रहे हैं। उनका कहना है कि जब कोरोना की पहली लहर आई थी तो हम लोग जोश से काम कर रहे थे।
हम लोगों की टीमों ने काफी हद तक वायरस को कन्ट्रोल भी कर लिया था। लेकिन अब लोगों की लापरवाही के कारण हम लोगों पर मानसिक तनाव पहले के मुकाबले और बढ़ गया है। लोग अब भी बिना मास्क और दूरी के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जा रहे हैं।
परिवार को नहीं मिल रहा समय
कांटेक्ट ट्रेसिंग प्रभारी एसीएमओ डॉ के पी त्रिपाठी बताते हैं कोरोना वायरस को लेकर लोग अभी भी सतर्क नही है। अपनी जानकारियां छुपा रहे हैं। संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों की डिटेल लेने का काम देर रात तक चलता है। जिसके कारण परिवार को समय नहीं दे पाते। इससे परिवार और टीम के अन्य सदस्यों में मनसिक तनाव है। सड़क पर निकल रहे लोग अगर कोरोना गाइडलाइन का पालन करेंगे तो कोरोना के मामले कम आएंगे।
बिना छुट्टी के कर रहे काम
कांटेक्ट ट्रेसिंग के आधार पर होने वाली जांचों का जिम्मा संभालने वाले लैब टेक्नीशियन योगेश उपाध्याय का कहना है कि उनकी टीम पिछले करीब 12 महीनों से लगातार बिना छुट्टी के काम कर रही है। एक एक कर्मचारी 8 से 10 घंटे काम कर रहा है। इसके कारण कई लैब टेक्नीशियन मनसिक तनाव भी झेल रहे हैं। यह तक उन्हें काउंसिलिंग की भी जरूरत पड़ चुकी है। वहीं कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए लगतार जांचे भी की जा रही हैं। लेकिन, लोग अब भी जागरूक नहीं हो रहे हैं।