लखनऊ। मानवाधिकार संरक्षण के मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पूर्ववर्ती अखिलेश यादव के शासन से बेहतर साबित हो रही है। अखिलेश के मुकाबले योगीराज में पुलिस हिरासत में मौतों की संख्या चार गुना घटी है। इस तथ्य का खुलासा एक आरटीआई के तहत मांगी गयी जानकारी से हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 में 12 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। इसके बाद वर्ष 2013 में 15, साल 2014 में आठ, 2015 में नौ, 2016 में आठ और वर्ष 2017 में 14 सितम्बर तक दो व्यक्ति पुलिस हिरासत में मृत्यु को प्राप्त हुए।
बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा का कहना है कि पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साल 2012 की 15 मार्च को सत्ता संभाली थी और योगी आदित्यनाथ बीते 19 मार्च को उप्र के मुख्यमंत्री बने हैं। आरटीआई के अनुसार अखिलेश के पांच वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में पुलिस हिरासत में कुल 52 मौतें हुईं जबकि इस साल अब तक नौ महीनों में मात्र दो मौतें ही हुईं हैं। इस प्रकार अखिलेश के समय पुलिस हिरासत में मौतों का हर नौ महीने का औसत लगभग आठ था जो योगी के समय घटकर दो ही रह गया है।
वहीं मानवाधिकार व आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बीते 14 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके बीते छह वर्षों में सूबे में पुलिस हिरासत में हुई मौतों की संख्या की सूचना मांगी थी। मुख्य सचिव कार्यालय के जन सूचना अधिकारी ने उनकी अर्जी को गृह विभाग को अंतरित कर दिया था। राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो के जनसूचना अधिकारी द्वारा बीते दिनों इस संबंध में संजय शर्मा को दी गई सूचना के मुताबिक अखिलेश राज के मुकाबले योगी शासन में पुलिस हिरासत में हुई मौतों में चार गुने की कमी आई है।