17 को योगिनी एकादशी मनाई जाएगी। हिन्दूध धर्म में योगिनी एकादशी का विशेष महत्व है। योगिनी एकादशी तिथि निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है।ये व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा होती है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पापों का नाश हो जाता है, समृद्धि प्राप्त होती है।इस व्रत को करने से मनुष्य स्वर्ग का अधिकारी हो जाता है। योगिनी एकादशी का व्रत करने का महत्व 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाने के समान है।
योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार योगिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल है। इसके बाद व्रती चौघड़िया तिथि देखकर पूजा आराधना कर सकते हैं। योगिनी एकादशी की तिथि 16 जून को ब्रह्म बेला में 5 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 17 जून को 7 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी।
योगिनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?
धार्मिक ग्रंथों में एकादशी की महत्ता को बताया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अगहन माह में शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को गीता उपदेश दिया है। अतः एकादशी पर्व का विशेष महत्व है।
ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्रती को हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही व्रती के सभी दुःख, दर्द, कष्ट और क्लेश दूर हो जाते हैं।
शुभ मुहूर्त
योगिनी एकादशी: 17 जून, 2020
तिथि का समय: 16 जून, 2020 को सुबह 5 बजकर 40 मिनट पर प्रारंभ होगा और 17 जून, 2020 को 4 बजकर 50 मिनट पर समाप्त हो जाएगी.
परायण: 18 जून 2020 को 05.28 AM से 08.14 AM तक
पूजा की विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह पहले घर की साफ-सफाई करें और फिर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन लें। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें. फिर प्रभु को फूल, अक्षत, नारियल और तुलसी पत्ता अर्पित करें।
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फिर पीपल के पेड़ की भी पूजा करें। योगिनी एकादशी व्रत की कथा सुनें और अगले दिन परायण कर दें।
आप इस शुभ मोहूर्त पर योगिनी एकादशी मना सकते हैं। और इसी विधि से करें।