योगी आदित्यनाथ की पहली कैबिनेट बैठक में कुछ बिलम्ब हुआ था। विपक्ष ने इस पर तंज करना शुरू कर दिया था लेकिन योगी ने दुरूस्त आए की तर्ज पर जबाब दिया था। पहली बैठक से साबित हुआ था कि मंत्रिमण्डल प्रदेश की समस्याओं को बखूबी समझ चुका है। उनके समाधान की दिशा में कदम भी बढ़ाए गए। प्रदेश पटरी पर आता दिखाई दिया तो मंत्रिमण्डल की दूसरी बैठक में ही गतिशीलता दिखाई देने लगी।
मंत्रिमण्डल की बैठक के हिसाब से सरकार अभी मात्र दो कदम ही चली है लेकिन इतने मात्र में वह पिछले दो सरकारों से आगे नजर आने लगी है । बसपा और सपा के भी पूर्ण बहुमत से पांच -पांच वर्ष तक सरकार चलाने का अवसर मिला था। इसके पहले करीब साढ़े तीन वर्ष तक सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। अपने गुणगान में ये सरकारें एक-दूसरे से कम नहीं थी। सभी ने प्रदेश को विकसित बना देने का वादा किया। लेकिन इतने वर्षो बाद उत्तर प्रदेश वहीं है। यहां शिक्षा, स्वास्थ, कृषि आदि की दशा ठीक नहीं है। बिजली,पानी, सड़क के मामले में भी बहुत दावे किए गए। लेकिन जमीनी स्थिति अलग है।
भ्रष्टाचार के मामले में अवश्य सहमति दिखाई देती है थी। शायद यही कारण था कि चुनिंदा अधिकारी प्रत्येक सरकार में महत्वपूर्ण बने रहे| प्रदेश की समस्याओं के समाधान की बात तो दूर, ऐसा लगता है जैसे उन सरकारों ने समस्याओं को समझने का गंभीरता से प्रयास नहीं किया। योगी आदित्यनाथ ने मात्र दो कैबिनेट बैठकों से यह साबित कर दिया कि उन्हें प्रदेश की समस्याओं की पूरी समझ है। इनके समाधान के प्रति उनकी सरकार कटिबद्ध हैै। सरकारी मशीनरी को इस संबंध में स्पष्ट सन्देश दे दिया गया है।
प्रदेश में कृषि व बिजली में सुधार हो जाए,कानून व्यवस्था की स्थिति अच्छी हो, नौकरशाही ईमानदारी के साथ त्वरित फैसले करने लगे तो प्रदेश की तस्वीर बदलने में देर नहीं लगेगी। योगी आदित्यनाथ ने इस तथ्य को बखूबी समझा है। यही कारण है कि बिजली व कृषि पर उनकी सरकार ने बहुत जोर दिया है। मंत्रिमण्डल की बैठक से साफ है कि बिजली की पर्याप्त आपूर्ति का पूरा रोडमैप बना लिया गया है।
इसके पहले जरूरत के हिसाब से सरकार बिजली खरीदेगी,जिससे उपभोक्ताओं व उद्योगों को परेशानी का सामना न करना पडे़| मंत्रिमण्डल की बैठक पूरी तैयारी या होमवर्क के साथ की गई। इससे भी योगी सरकार की कार्यशैली का अनुमान लगाया जा सकता है। बैठक से पहले प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकान्त शर्मा केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मिले थे। पीयूष गोयल उत्तर प्रदेश की स्थिति को करीब से जानते हैं। सपा सरकार के दौरान उन्होंने बिजली समस्या के समाधान की पहल की थी। उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार के पास बिजली की कमी नहीं है, इच्छाशक्ति की कमी है। लेकिन सपा सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। वह महंगी बिजली खरीद रही थी। जबकि केन्द्र की बिजली सस्ती थी। दूसरी बात यह कि प्रदेश सरकार की कोई भी बिजली परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई।
शिलान्यास के बाद भी उसमें उत्पादन शुरू नहीं हो सका। लाइन क्षति की समस्या भी जटिल रही है। इसे रोकने का कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है। सपा सरकार ने कन्नौज, इटावा, रामपुर आदि को बिजली मामले में वीआईपी दर्जा दिया। इसका भी प्रतिकूल असर हुआ क्योंकि क्षे़त्र धार्मिक या औधोगिक दृष्टि सेे विशिष्टता नहीं रखते थे। इसमें केवल पारिवारिक हैसियत को महत्व दिया गया था। योगी कैबिनेट ने इस कमी को दूर किया है। धार्मिक केंद्रों को ही अब वरीयता मिलेगी| बिजली व्यवस्था में सुधार के बिना पूंजी-निवेश या औद्योगिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। उत्तर प्रदेश से तो उद्योग का पलायन हो रहा था।
सरकार पूंजी निवेश का ढिंढोरा पीटती रही। नौकरशाही कर रवैया, सत्ता पक्ष की दबंगई भी इसमें बाधक थी। योगी आदित्यनाथ की सरकार ऐसे सभी कदम उठा रही है। जिसमें पूंजी निवेश व औद्योगीकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। आलू खरीदने का फैसला भी सराहनीय है। जिला प्रशासन की जिम्मेदारी तय कर दी गयी है। इससे आलू उत्पादक किसानों के बकाए का भुगतान भी सुनिश्चित किया गया है। अब तक खनन विभाग बहुत बदनाम रहा हैै। योगी मंत्रिमण्डल इसमें घोटाले रोकने की दिशा में कदम उठा चुका है।
खनन के टेण्डर व अन्य कार्य आनलाइन होगा। दूसरे प्रदेशों से वैध खनन सामग्री आ सकेगी। इससे दाम कम होंगे। अन्य क्ष़ेत्रों में सरकार अल्पकालिक व दीर्घकालिक योजनाएं बना रही है। सभी में पारदर्शिता लाने पर जोर होगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि निर्माण कार्यों की निगरानी करें। जहां भी गड़बड़ी नजर आए उसकी सूचना दें| आगे की कार्यवाही वह स्वयं करेंगे। इन कदमों से सरकारी मशीनरी को सन्देश जा रहा है कि अब जनता का धन लूटने पर रोक लगेगी| इस प्रकार कैबिनेट बैठकों ने ही प्रदेश के विकास की उम्मीद जगाई है।
डा. दिलीप अग्निहोत्री, लेखक