नई दिल्ली। 2017 विधान सभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उत्तर प्रदेश के लिए नारा दिया था कि गुण्डाराज ना भ्रष्ट्राचार अबकी बार भाजपा सरकार , चुनाव हुआ जनता ने समाजवादी सरकार को नकार दिया जनमत ही नहीं अपार बहुमत दिया। भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के तौर पर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। प्रदेश में पूर्ववर्ती सरकार में जनता के धन का दुर्पयोग करने के मामले को लेकर और प्रदेश में व्याप्त अपराध को खत्म कराना योगी की प्रमुख जिम्मेदारी थी।
सत्ता आते ही योगी ने अपने सम्बोधन में साफ कहा था कि सूबे में माफियाराज और गुण्डाराज नहीं चलेगा। लेकिन तीन महीने की सरकार के कार्यकाल में अपराधिय़ों ने सरकार के साथ जनता की नाक में दम कर दिया है। सरकार भले ही चुस्त कानून व्यवस्था करने के वादे करे दावे करे लेकिन वर्तमान समय में तीन महीने सरकार के निकल गये हैं। लेकिन अभी तक कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार के हालात अभी भी काबू में नहीं हैं।
अराजकता और हिंसा की आग में जल रहा प्रदेश
सूबे की योगी सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर लाख दावे और वादे करे। लेकिन जमीनी हकीकत है कि अभी तक वह सारे वादे और दावों से खोखले साबित हो रहे हैं। बीते 14 अप्रैल से सूबे का सहारनपुर सुलग रहा है। आग अब जाकर ठंड़ी होती दिख रही है। लेकिन इस दौरान मथुरा, आगरा, सीतापुर और इलाहाबाद में सरेआम अपराधियों का कहर देखने को मिला है। बात इतने पर ना रूकी जेवर, बुलंदशहर,रामपुर और सूबे की राजधानी लखनऊ के दामन पर बलात्कार का बदनुमा दाग भी लगा है। इसके साथ ही पूरे सूबे में कानून-व्यवस्था को लेकर जमकर माखौल उड़ाया गया है।
सरकार के कामों को लेकर कोई लेखा-जोखा नहीं
पूर्ववर्ती सरकार को कामों को लेकर चुनाव के दौरान भाजपा ने जमकर किसानों से लेकर आम जनता का विरोधी करार दिया था। चुनाव के पहले योजनाओं का भंडार लगाने की बात कही थी। लेकिन सत्ता आते ही सारे वारे रफ्फू हो ंगये। सरकार तो सरकार अधिकारी थी साहब बन गये। सरकार ने 60 दिनों में सूबे की सड़को को सही करने का काम दिया था। 100 दिन बीत गये सड़क वहीं है। बस बदली केवल सरकार है। जब योगी सत्ता में आये तो विभागों की जांच शुरू हुई। उस वक्त लगा की काम की रफ्तार तेज होगी लेकिन सौ दिन चले ढाई कोस ही रफ्तार रही ।
अपने मंत्री की बार सरकार की किरकिरी कर चुके हैं
सरकार सुचिता की बात करती है। लेकिन सत्ता के मद मे चूर विधायक से लेकर मंत्री तक के कई कारनामे आये दिन योगी सरकार की साख पर बट्टा लगा देते हैं। वाकिए की शुरूआत सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर से होती है। जहां विधायक जी का एक महिला पुलिस अधिकारी को हिदायत देने का अंदाज साफ बता रहा था, कि विधायक जी पर सत्ता का नशा जमकर बोल रहा है। फिर महिला कल्याण मंत्री स्वाती सिंह का बीयर बार के उद्घाटन समारोह में जाकर फीता काटना। इसके बाद इन्ही का प्रसाद में सौ रूपये बटना। हांलाकि मंत्री जी ने इस पर अपनी सफाई दे दी है। लेकिन सरकार क्या करे।
विकास की योजनाएं लागू करने में देरी
विकास के कार्यों से जुड़ी योजनाएं लागू होने में देरी की वजह योगी सरकार का प्रशासनिक ढांचा है। जिन अधिकारियों के दम पर योगी सूबे की तस्वीर बदलने निकले हैं। वे अधिकारी अभी तक अपने विभाग में इसी समस्या में उलझे हैं। मंत्री की सुने की सीएम की अगर सीएम की तो किसी क्योंकि एक सूबे में दो डिप्टी सीएम है एक सीएम योजनाओं को लेकर एक दो वैसे भी सरकार के पास फूटी कौड़ी बची नहीं है। फिर किसानों के कर्ज के लिए धन आवंटन की बात कह योगी सरकार ने योजनाओं को और पीछे कर दिया है। अधिकारियों के पास योजनाओं का कोई कार्यक्रम मौजूद नहीं है।
तीन महीने में सरकार का रिजल्ट जीरो
योगी सरकार के तीन महीने के कार्यकाल पर अगर नजर डालें तो परिणाम ंशून्य ही मिल रहा है। 19 मार्च को सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ ने शपथ ली थी। भाजपा ने चुनाव में बड़े वादे किए थे। जनता ने भाजपा को अपार जनादेश देकर कुर्सी सौपी थी। लेकिन 3 महीने की योगी सरकार में जनता को किसी तरह की कोई राहत अभी तक जमीनी हकीकत पर उतरती नहीं दिखी है।
अजस्र पीयूष