फतेहपुर: जिले में यमुना नदी के बाढ़ का प्रकोप झेल रहे लोगों के लिए राहत भरी खबर है। दरअसल, बुधवार को यमुना नदी का जलस्तर घटने लगा है। ऐसे में जहां यमुना नदी किनारे बसे ग्रामीणों को सुकून मिलेगा तो वहीं जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। हालांकि, प्रशासन अब भी पहले की तरह की मुस्तैद है। यहां पर राहत कैंप से लेकर शौचालय दवाएं और भोजन सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं। साथ ही दोनों समय भोजन के पैकेट वितरित किए जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश से छोड़े गए पानी की वजह से यमुना नदी में असर देखने को मिला था। इसी के तहत दो अगस्त से गंगा-यमुना के जलस्तर की निगरानी की जा रही थी। इसमें यमुना नदी अपने खतरे के निशान 100 मीटर से बढ़कर 101.730 पर जा पहुंचा। इतना ही नहीं यमुना नदी का जलस्तर 10 अगस्त को 450 सेंटीमीटर बढ़कर 102.180 मीटर हो गया। देर रात तक यमुना में होने वाली जलवृद्धि ठहर गई और बुधवार 11 अगस्त को यमुना नदी का जल स्तर 490 सेंटीमीटर घट कर 101.690 सेंटीमीटर हो गया। हालांकि, अभी भी यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से एक मीटर 690 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।
अधिकारियों ने किया मौके का निरीक्षण
आठ अगस्त को यमुना नदी में उफान आते ही जिला प्रशासन और पुलिस विभाग सक्रिय हो गए थे। इसी को देखते हुए जिलाधिकारी अपूर्वा दुबे, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह और उप जिला अधिकारी प्रमोद झा, विजय शंकर तिवारी, आशीष कुमार, तहसीलदार चंद्रशेखर यादव, नायब तहसीलदार विकास पांडेय सहित कई अधिकारियों ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का मौके पर निरीक्षण करते हुए बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। साथ ही उप जिलाधिकारी प्रमोद झा ने नाव में बैठकर यमुना नदी किनारे के बसे गांवों और मजरों का निरीक्षण किया।
बाढ़ से ग्रामीणों को बचाने के लिए राहत शिविर में भेजने के साथ ही घर-घर लोगों को भोजन के पैकेट वितरित कराया गया। इसमें खागा तहसील के किशनपुर, सदर तहसील के पलटू का पुरवा, अढ़ावल, ललौली और बिंदकी तहसील में सैंबसी, परसेटा, गंगौली, मौहारी प्रमुख रूप से प्रभावित हुए हैं। यहां पर प्रशासन की ओर से लगातार राहत एवं बचाव कार्य जारी है।