नई दिल्ली। साल 2020 में एक के बाद एक कई लोगों मौत की खबर सुनने को मिली है। बाॅलीवुड, पाॅलिटिक्स से लेकर साहित्य तक कई ने हमेशा के लिए विदा ले ली। इसी बीच आज फिर उत्तर प्रदेश से बुरी खबर सुनने को मिल रही है। उर्दू जगत के चर्चित साहित्यकारए कवि और आलोचक शम्सुर्रहमान फारुकी का निधन हो गया है। शम्सुर्रहमान फारुकी काफी लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। हालांकि अब 85 साल की उम्र में उन्होंने इलाहाबाद में अपने घर में अंतिम सांस ली है। इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री हासिल की है। शम्सुर्रहमान फारुकी को पद्म श्री समेत कई बड़े अवार्ड से नवाजा जा चुका है। शम्सुर्रहमान फारुकी का जन्म 30 सितंबर 1935 को उत्तर प्रदेश में हुआ था।
ये हैं फारुकी की प्रमुख रचनाएं-
बता दें कि अपने जीवन में उर्दू के मशहूर आलोचक और लेखक शम्सुर्रहमान फारुकी ने कई साहित्यों की रचना की है। वहीं उनको पद्म श्री से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा फारुकी को सरस्वती सम्मान भी प्राप्त है। वहीं समालोचना तनकीदी अफकार के लिए इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से भी सम्मानित किया जा चुका है। फारुकी का ‘कई चांद थे सरे आसमां’ नामक उपन्यास काफी चर्चित रहा है। इसके अलावा उन्होंने ‘शेर, गैर शेर और नस्त्र’, ‘गंजे सोख्ता’, ‘सवार और दूसरे अफसाने’, ‘जदीदियत कल और आज’ की रचना भी की है। फारुकी भारतीय कवि और उर्दू समीक्षक और सिद्धांतकार के तौर पर अपनी पहचान रखते है। उन्होंने साहित्य को नए आयाम दिए। इसके अलावा उन्होंने साहित्यिक आलोचना के वेस्टर्न सिद्धांतों को अपनाया और फिर उन्हें उर्दू साहित्य में अमलीजामा पहनाया।
फारुकी ने भारतीय डाक सेवा के लिए भी काम किया-
वहीं फारुकी ने भारतीय डाक सेवा के लिए भी काम किया है। हालांकि उन्होंने लेखन की शुरुआत 1960 में ही कर दी थी। इसके अलावा उन्होंने पोस्टमास्टर-जनरल और पोस्टल सर्विसेज बोर्ड, नई दिल्ली के मेंबर के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। यहां तक की फारुकी अपनी साहित्यिक पत्रिका के संपादक भी थे। फारुकी ने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में कुछ वक्त तक प्रोफेसर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी है।