लखनऊ: डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर में वट सावित्री महाव्रत के अवसर पर वट देवता का पूजन कर सर्वकल्याण की कामना की गई। इस दौरान मंदिर परिसर में भजन कीर्तन भी कराया गया।
सुहागिनों ने वट वक्ष की 12 परिक्रमाएं कीं
महिलाओं ने सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, मिठाई अर्पित कर विधि-विधान से पूजन किया। उसके बाद कच्चे सूत में हल्दी लगाकर उसे वट वक्ष के तने पर परिक्रमा करते हुए 12 बार लपेटा। मनकामेश्वर मठ मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने बताया कि मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है।
गृहणी के तप की महानता बताता है बरगदाही का महापर्व
महंत देव्यागिरि ने बरगदाही के पर्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, वट सावित्री का पर्व सुहागिनों को संदेश देता है कि उनका तप किसी भी तरह से साधकों से कम नहीं है। इसलिए सावित्री ने अपने पति के प्राण तक यमराज से हासिल कर लिये थे।
पीपल के पौधे का हुआ रोपण
महंत देव्यागिरि ने बताया कि, आज शनि जयंती भी है जिसके उपलक्ष्य में पीपल देव को पूजा जाता है। इसी के मद्देनजर मनकामेश्वर घाट उपवन में पीपल के पौधे भी रोपित किए गए।