लखनऊ। 11 मार्च को महाशिवरात्रि है। इस बार महाशिवरात्रि बृहस्पतिवार के दिन पड़ रही है। बृहस्पतिवार भगवान विष्णु का दिन है। भगवान विष्णु भगवान महादेव के आराध्य भी हैं। इसलिए इस बार शिवरात्रि तमाम विशेष संयोग लेकर आ रही है।
शिवरात्रि के दिन चार बड़े ग्रह शनि, गुरु, बुध तथा चंद्र, ध्निष्ठा नक्षत्र व मकर राशि में होंगे में होंगे। इस दिन आशिंक कालसर्प योग भी है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग है, वो शिवरात्रि के मौके पूजन करा सकते हैं।
वैष्णवी ज्योतिष केन्द्र के आचार्य राजेन्द्र तिवारी ने बताया कि इस योग में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। जातक यदि अपनी अपनी राशि अनुसार भगवान की आराधना करेंगे तो इससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस दिन रुद्राभिषेक करना शुभदायक है। इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की आराधना करने पर दोष भी दूर हो होंगे और कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
क्या है शिवलिंग
शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है। शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन। सृजनहार के रूप में लिंग की पूजा होती है। संस्कृत में लिंग का अर्थ है प्रतीक। भगवान शिव अनंत काल के प्रतीक हैं। कुछ लोग शिवलिंग की गलत व्याख्या करते हैं। दरअसल, शिवलिंग का मतलब है एक ऐसा प्रतीक जिसमें भगवान शंकर हर वक्त वास करते हैं। जिसके पूजन ने इंसान के दुखों का नाश होता है।
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार)
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय: 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक
महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
यूं तो भगवान शिव का नित्य पूजन कल्याणकारी है। मगर महाशिवरात्रि के दिन पूजन विशेष कल्याणकारी होता है। इस दिन भगवान के पूजन ने जातक के सकल मनोरथ पूरे होते हैं। शिवरात्रि पर भगवान शिव के पूजन से इंसान का चंद्रमा मजबूत होता है। चंद्रमा मन का प्रतीक है। चंद्रमा जितना मजबूत होगा हमारा मन उतना ही स्थिर और शांत रहेगा। सभी प्रकार के दोषों के निवारण के लिए भी भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।
महाशिवरात्रि की पूजन विधि
यूं तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर एक लोटा जल अर्पित करना ही काफी है। मगर शिवरात्रि के मौके पर सभी लोगों को अपने आराध्य का विधिवत पूजन करना चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक करें। मंदिर में जाएं तो भगवान को जल, दूध, बिल्वपत्र अर्पित करें। अगर घर के आसपास मंदिर नहीं है तो घर पर ही मिट़टी का शिवलिंग बनाकर पूजन करें। बाद में उसे जल में प्रवाहित कर दें।