खबर है कि सीरिया और ईरान की सीमा पर तुर्की सैकड़ों किलोमीटर लंबी दीवारों का निर्माण करवा रहा है। जो पूरा होने के अंतिम चरण में है। बता दें कि यूनान पहले ही तुर्की की सीमा पर इस तरह की दीवार बना चुका है। जिसपर अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरण लगे हुए हैं।
सिक्योरिटी फ़र्स्ट वाली नीति
इस तरह की दीवारों का निर्माण हाल के वर्षों में यूरोप में प्रवासियों के दाख़िल होने के प्रति की देशों के रवैये की कठोरता को भी दर्शाता है। वहीं तुर्की द्वारा बनाई जा रही इस दीवार से तुर्की सरकार की सिक्योरिटी फ़र्स्ट वाली नीति साफ झलकती है। जिसके तहत वो अपनी सीमाओं से परे जाकर कुर्द लड़ाकों के खिलाफ कार्रवाई करता है।
‘911 किलोमीटर की दीवार का काम पूरा’
दरअसल तुर्की के गृहमंत्री सुलेमान ने कहा था कि सीरियाई सीमा पर 911 किलोमीटर की दीवार का काम पूरा हो चुका है। वहीं कुछ अधिकारियों का कहना है कि इस दीवार का उद्देश्य सुरक्षा को बेहतर बनाना, तस्करी और अवैध प्रवासियों को रोकना है। जानकारी के अनुसार साल 2016 में दीवार का काम शुरू हुआ था।
‘हम बहुत मज़बूत दीवार बना रहे’
साथ ही राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि हम बहुत मज़बूत दीवार बना रहे हैं। ताकि आतंकवादियों को हमारे देश में आने-जाने और हथियारों को स्थानांतरित करने से रोका जा सके। उन्होने कहा कि जहां उचित होगा हम ईरान-इराक सीमा के साथ भी ऐसा ही करेंगे।
‘2 मीटर चौड़ी,3 मीटर ऊंची दीवार’
बता दें कि सीरिया में अशांति फैलने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने तुर्की में पलायन करना शुरू किया। जिसके बाद दीवार बनाने का काम शुरू किया गया था। जानकारों के मुताबिक ये दीवार दो मीटर चौड़ी और तीन मीटर ऊंची है। और 7 टन के कंक्रीट ब्लॉक के ऊपर कंटीले तार लगाए गए हैं।
इस दीवार पर थर्मल कैमरे, सर्विलांस के लिए रडार, रिमोट कंट्रोल हथियार प्रणाली, क्लोज़-अप सर्विलांस कैमरे और लाइन लेंथ इमेजिंग सिस्टम के अलावा इकोस्टिक सेंसर भी लगाए गए हैं। वहीं ये दीवार मैक्सिको बॉर्डर पर अमेरिका द्वारा बनाई गई दीवार और ग्रेट वॉल ऑफ़ चाइना के बाद सबसे लंबी दीवार है।
बन रही 200 किलोमीटर लंबी दीवार
खबर है कि तुर्की ईरान से लगी अपनी 560 किलोमीटर लंबी सीमा पर भी 200 किलोमीटर लंबी दीवार बना रहा है। तस्करी और अवैध प्रवास को रोकने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही सीरिया में होने वाले गृहयुद्ध की शुरुआत में, तुर्की ने सीरियाई नागरिकों के लिए अपनी सीमाओं को खुला रखा था। जिससे लाखों सीरियाई शरणार्थी तुर्की में दाख़िल हुए।
‘तुर्की अब शरणार्थियों का बोझ नहीं उठाएगा’
वहीं तुर्की ने साल 2020 में उस समय भी अपनी सीमा को पूरी तरह से बंद कर दिया था, जब सीरिया और रूस ने इदलिब पर बमबारी की। इससे हजारों लोग विस्थापित होकर तुर्की की सीमा की तरफ आये। राष्ट्रपति रेचप तैय्यप अर्दोआन ने कहा है कि तुर्की अब और शरणार्थियों का बोझ नहीं उठाएगा।