विज्ञान की जितनी उपयोगिता को कोरोना काल में समझा गया है। उससे आप और हम कोई भी अनजान नहीं है। आज खुले में एक बार फिर से अपने काम को दोबारा शुरू कर पाए हैं। या घर से बाहर निकल पा रहे हैं। ये सब विज्ञान के कारण संभव हो सका है। हालांकि अभी भी महामारी को लेकर लोगों के मन में डर बना हुआ है। लेकिन अब विज्ञान महामारी से लड़ने का एक विकल्प बन चुका है।
विज्ञान के माध्यम से जिस प्रकार डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने मानवता को बचाने में अपना अहम योगदान देते हैं। उनकी इसी सफलता को व डॉक्टरों व वैज्ञानिकों की महत्वता को समझाने के लिए हर साल 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस मनाया जाता है। हालांकि 2002 में इस दिन को विश्व विज्ञान दिवस शांति और विकास के रूप में मनाया गया था।
कब और कैसे हुई विश्व विज्ञान दिवस की शुरुआत
विज्ञान के प्रभाव से अनजान रहना शायद असंभव है। चूँकि एक बार फिर से कोरोना महामारी के कहर ने विज्ञान की जीवंता को उजागर कर दिया है। ऐसे में विश्व विज्ञान दिवस उभरते वैज्ञानिक मुद्दों पर बहस की व्यापकता के लिए साथ ही जनता को जागरूक करने के लिए उनकी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए मनाए जाने का निर्णय लिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र से शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन द्वारा पहली बार विश्व विज्ञान दिवस की घोषणा 2001 में की गई थी। इसके बाद 2002 में पहली बार विश्व विज्ञान दिवस मनाया गया।
विश्व विज्ञान दिवस का क्या है उद्देश्य
विश्व विज्ञान दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कि नागरिकों के बीच में विज्ञान के विकास की क्या सूचना है यानी जनता विज्ञान से कितनी परिचित है। हालाकी 2002 में जब पहली बार विश्व विज्ञान दिवस मनाया गया उस वक्त इस दिवस को लेकर कई अलग उद्देश्य थे जैसे शांतिपूर्ण व स्थाई समाज में विज्ञान की भूमिका को लेकर जनता को जागरूक करना। देश के बीच में साझा विज्ञान और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय रूप में बढ़ावा देना। साथ ही समाज के लाभ के लिए विज्ञान के उपयोग को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना। विज्ञान के समक्ष आ रही चुनौतियों का समाधान ढूंढने के लिए वैज्ञानिकों को का समर्थन जुटाना।