विश्व साइकिल दिवस के मौके पर दूसरे भाग में हम आपको एक ऐसे पिता की हिम्मत और जज्बे को सलाम कर रहे हैं, जो खुद अनपढ़ होते हुए अपने बेटे की शिक्षा के लिए 105 किलोमीटर का सफर तय करके उसे परीक्षा केंद्र तक लेकर गया।
पिछले साल कोरोना वायरस के कारण कई महीनों तक बस सेवाएं बंद थीं। ऐसे में इस पिता के पास अपने बच्चे को परीक्षा केंद्र तक ले जाने के लिए साइकिल के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा। पिता शोभाराम खुद अनपथ थे, लेकिन पढ़ाई की अहमियत को समझते हुए मध्यप्रदेश के धार जिले के एक छोटे से गांव से सफर तय करके 105 किलोमीटर दूर परीक्षाकेंद्र तक अपने बेटे को लेकर गए।
38 वर्षीय गरीब शोभाराम बताते हैं कि परीक्षा तिथि से एक दिन पहले यानी 17 अगस्त को तीन से चार दिन के खाने-पीने की सामग्री लेकर सफर तय शुरू किया। रात में एक जगह कुछ समय के लिए विश्राम किया। फिर दूसरे दिन वह धार शहर के कन्या विद्यालय पहुंच गए, जहां बेटे की परीक्षा होनी थी। शोभाराम ने कहा कि मेरे बेटे का एक साल बर्बाद न हो जाए, इसलिए उसे साइकिल से परीक्षा दिलाने लाया, ताकि उसकी जिंदगी बन जाए और थोड़ा पढ़-लिख जाए।
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