नई दिल्ली। अगर भारत देश में कोई औरत ये कह दे कि वो मां बनकर खुश नहीं है। तो लोग उसका जीना हराम कर देंगे और उसको नए-नए ताने देने लगेंगे। लेकिन इजरायल जैसे देश में महिलाएं खुलकर बोल रही हैं कि उन्हें मां बनने पर कोई खुशी नहीं है वो मां बनकर पछता रही हैं। इजराइली लेखिका डोनथ की जर्मनी से जब ‘रिग्रेटिंग मदरहुड’ शीर्षक से किताब प्रकाशित हुई तो वहां की मीडिया, सोशल मीडिया में हड़कंप मच गया।
बता दें कि सोशल साइट ट्विटर पर हैशटैग के साथ ‘रिग्रेटिंग मदरहुड’ ट्रेंड चला। इजराइल में तो यह बहस हफ्ते भर में ही खत्म हो गई मगर जर्मनी जैसे विकसित देश में यह बहस महीनों चली। डोनथ की किताब में उन मां का इंटव्यु दर्ज है, जिन्होंने मां बनने के बाद पछतावा जाहिर किया। ‘रिग्रेटिंग मदरहुड’ ने ट्विटर पर ट्रेंड किया तो हंगामा पूरे देश में मचा। भारत से भी कई टिप्पणियां आर्इं। मसलन, हे भगवान यह कैसी बहस चल रही है! क्या कोई मां मातृत्व को लेकर पछता सकती है? ट्विटर पर बंगलुरु की श्रुति की यह टिप्पणी दरअसल अधिकांश समाज खासतौर पर भारतीय समाज की प्रतिक्रिया का ही हिस्सा है।
वहीं डॉ. अरुणा ब्रूटा यह भी कहती हैं कि यह भाव अस्थायी होता है। मातृत्व के पछतावे के पीछे यह बिल्कुल नहीं होता कि औरत अपने बच्चे से नफरत करती है। दरअसल, यह अस्थायी पछतावा भी घर, समाज और दफ्तर में महिलाओं को मां बनने के बाद उसे न मिलने वाली सुविधाओं के कारण होता है। कहीं न कहीं वह औरत अपनी आजादी को याद कर खीझती है। सोचती है कि काश वह मां न बनती। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट महिमा त्रिवेदी ने तो साफ कहा भारत में अभी खुलकर औरतें नहीं बोलतीं लेकिन यह ट्रेंड बढ़ रहा है। मेरे पास कई ऐसे केस आये जब करियर को लेकर समझौता करने पर औरतों ने यह महसूस किया कि उन्हें मां नहीं बनना चाहिए था।