नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए एक खास प्रावाधन लेकर आई है। सरकार ने तय किया है कि जो कामकाजी महिलाएं अपने कार्यस्थल पर य़ौन शोषण का शिकार होती है और शिकायत करती है उसे 90 दिनों की छुट्टी मिलेगी, लेकिन इस छुट्टी के लिए उसकी तनख्वाह से पैसे भी नहीं काटे जाएंगे। सिर्फ इतना ही नहीं ये छुट्टी तब तक जारी रहेगी जब तक इस पूरे प्रकरण की जांच चल रही है। सरकार ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने इस संबंध में हाल ही में सेवा नियमावली में बदलाव किया है।
क्या है नया नियम
जानकारी के मुताबिक नए नियम के मुताबिक कार्यस्थल पर महिलाओं से यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम-2013) के तहत अगर किसी शिकायत की जांच चल रही है और तो उस बीच में शिकायतकर्ता महिला 90 दिन की छुट्टी ले सकती है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए इस आदेश को लागू करने के लिए डीओपीटी ने केंद्रीय लोक सेवा (अवकाश) संशोधन नियम, 2017 जारी किया है।
क्यों बनाया गया नियम
जानकारों का मानना है कि केंद्र सरकार यह नियम लेकर आई है क्योंकि उसे लगातार शिकायतें मिल रही थी कि कार्यस्थल पर य़ौन शोषण का शिकार महिलाएं अकसर दबाब में आने के कारण अपने बयान बदलने के लिए मजबूर हो जाती है या फिर उन्हें डरा-धमका कर बयान बदलने के लिए मजबूर किया जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, इस तरह के मामलों में पीड़ित महिला आंतरिक कमिटी की सिफारिश के आधार पर स्पेशल लीव दी जाएगी और आरोपों की जांच के लिए एक स्थानीय कमिटी का गठन किया जाएगा।
गौरतलब है कि दिसंबर 2016 में एक नियम लागू कर केंद्र सरकार ने कहा था कि कामकाजी महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन शोषण का शिकार होने पर शिकायत की जांच 30 दिन के भीतर हो जानी चाहिए। किसी भी स्थिति में ये जांच 90 दिन के भीतर पूरी हो जानी चाहिए।