लखनऊः प्रेम की भाषा हर किसी के समझ में आती है, चाहे वो इंसान हो या फिर बेजुबान। ऐसे में सड़क पर घायल बेजुबानों की मदद के लिए राजधानी की दो बेटियों ने बेड़ा उठाया है। सोशल मीडिया की मदद से वह बीमार और घायल पशु-पक्षियों का इलाज कर रहीं हैं। बेजुबानों की रातदिन सेवा कर पशु प्रेमी बेटियां शहर की नज़ीर बन चुकी हैं।
दरअसल, राजधानी लखनऊ के पुराने शहर की रहने वाली शबा बानो जानवरों की हमदर्द हैं। उन्होनें अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर सोसाइटी फॉर एनिमल वेलफेयर नाम की संस्था खोली है। यह संस्था बेजुबानों की हमदर्द है। शबा बताती हैं कि 09 बरस पहले उनके डॉगी ने गलती से चूहे मार की दवा खा ली थी। इससे डॉगी की हालत बिगड़ गई थी, फिर कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई थी। इस घटना के बाद जानवरों के प्रति उनका प्यार और भी गाढ़ा हो गया। फिर उन्होने आवारा पशु के अधिकारों के बारे में जानने के लिए एक संस्था ज्वाइन की। संवैधानिक तौर पर उन्हें पता चला कि उतना ही जीने का हक बेजुबानों को भी है, जितना इंसानों को हैं। बताया कि, बेजुबानों के इलाज के लिए उन्होने पशु चिकित्सकों और संस्थाओं से भी मदद मांगी। बावजूद कोई भी आगे नहीं आया। फिर सोशल मीडिया के सहारे उन्होने प्राथामिक उपचार की ट्रेनिंग ली। अब वह ट्रेनिंग लेकर बेजुबानों का इलाज कर रही हैं।
1500 सांप को कराया मुक्त
बताया कि चार साल पहने उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि सपेरे सिर्फ पैसा कमाने के मकसद से सांपों को पकड़ते हैं। इसके बाद उन्होने अपने साथियों के साथ मिलकर सपेरो के कब्जे से लगभग 1500 सांप को मुक्त कराया। इसके अलावा मदारियों के चंगुल से बंदरों को भी आजाद कराया। यही नहीं इस अभियान में घायल घोड़ों से काम न लेना, घोड़ा मालिकों को बाध्य करना व उनका इलाज करवाना भी शामिल है।
डॉगी को दे रहीं दुलार
बेजुबान की भूख और तड़प को ईना शर्मा ने अपने जहन में संजो लिया है। साल 2016 में वह दिल्ली से लखनऊ आईं। इसके बाद एक सरकारी बैंक जॉब करने लगी। उन्होने बताया कि एक दिन जब लंच करने के बाद वह टलहने निकली तो उन्हें दो भूखे डॉगी दिखाई दिए। फिर उन्होने दो पैकेट बिस्किट लाकर कुत्तों को खिलाया। धीरे-धीरे बेजुबानों का कुनबा मदद की आस में बढ़ता गया। ईना बताती हैं वह शाकाहारी है, लेकिन सभी डॉगी के लिए वह कभीकभार रोटी के साथ चिकन बनाती है। तो कभी दूध-रोटी, पैक्ड न्यूट्रिशियन, पराठे व अन्य सभी प्रकार के हेल्दी फूड खुद ही तैयार करती हैं। स्ट्रीट डॉग घर में आकर खाना खाते हैं। बताया कि पांच स्ट्रीट डॉग को खाना खिलाने के बाद वह अपना टिफिन तैयार करती हैं। इसके अलावा बगैर सरकारी इमदाद के वह बेजुबानों का इलाज भी अपनी सेविंग से कराती है।