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फतेहपुरः बिना फायर NOC के धड़ल्ले से चल रहे हैं अस्पताल, मरीजों की जान से खिलवाड़

फतेहपुरः बिना फायर NOC के धड़ल्ले से चल रहे हैं अस्पताल, मरीजों की जान से खिलावड़

फतेहपुरः जिले में एक भी निजी अस्पताल आग से सुरक्षित नहीं है। दरअसल किसी भी अस्पताल संचालक के पास फायर एनओसी नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर बिना फायर एनओसी के इन अस्पतालों का संचालन कैसे हो रहा है? इतना ही नहीं यदि अचानक आग लग जाए और बड़ी घटना हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या जब तक लोगों की मौत नहीं होगी तब तक स्वास्थ्य विभाग संज्ञान नहीं लेगा? जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी उमेश गौतम ने बताया कि जिले में सभी निजी अस्पताल बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लेकर नगर पंचायत और सभी 13 विकासखंडों में निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। इनमें कई जगहें तो ऐसी हैं, जहां पर गैरेज के ठीक बगल में या बेसमेंट में अस्पताल खोलकर उपचार किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर इन अस्पतालों में भर्ती करने की सुविधा भी मौजूद होती है। लेकिन इन सभी में आग से निपटने के कोई इंतजाम नही हैं। ऐसे में मरीजों की जान खतरे में बनी रहती है। अधिकतर अस्पतालों में एक ही द्वार बने हैं। इसी से मरीजों और तीमारदारों का आना-जाना बना रहता है।

कुछ अस्पताल तो दो मंजिल भी बने हुए हैं। इनमें शायद ही कहीं फायर एग्जिट की व्यवस्था हो। ऐसे में अग्निकांड होने पर मरीजों की जान बचाने में नाकों चने चबाने पड़ सकते हैं। कई चिकित्सालय तो अपने को बच्चों का स्पेशलिस्ट भी बताते हैं और गर्भवती महिलाओं का प्रसव भी करवाते हैं। ऐसे में नवजात शिशुओं के जान को भी खतरा है। लगभग सभी अस्पतालों के प्रवेश द्वार के ठीक सामने वाहनों की पार्किंग होती है, जिससे अग्निकांड जैसी घटना होने पर मामला और भी गंभीर हो सकता है।

जिले में 68 हॉस्पिटल हैं पंजीकृत

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में करीब 68 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। यहां पर मरीजों का उपचार भी हो रहा है। लेकिन इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि जब किसी भी भवन में फायर की एनओसी नहीं है तो आखिर इन्हें मान्यता कैसे मिल गयी? किस अधिकारी ने भ्रष्टाचार करते हुए इन अस्पतालों को मान्यता दी यह जांच का विषय है।

क्या होती है फायर एनओसी

जिला अग्निशमन विभाग मुख्यालय से फायर एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रमाण पत्र सुनिश्चित करता है कि भवन में आग फैलने की संभावना नहीं है। इसके पहले संबंधित विभाग के अधिकारी मौके पर जाकर भवन का निरीक्षण करते हैं और फिर मानकों के आधार पर भवन को एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) जारी होती है।

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