नई दिल्ली। संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर राजपूत के साथ-साथ हिंंदू धर्म के सभी समुदायों की तरफ से जौहर की आग और गहराती जा रही है। इसी तर्ज पर रानी पद्मावती के राजघराने से जुड़े चित्तौड़ गढ़ के किले को बंद कर दिया गया। किले के बाहर बड़े पैमाने पर राजपूत और अन्य समुदायों के साथ-साथ राजनीतिक दल धरना देकर बैठे हैं। चित्तौड़ गढ़ के किले पर प्रदर्शन कर रहे सर्व समाज के लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा शाम तक फिल्म को लेकर कोई सकारात्मक जवाब या कार्रवाई नहीं होने पर आगे की कार्रवाई के लिए बताया जाएगा। किलेबंदी से पर्यटकों को काफी निराशा हाथ लगी है।
विरोध कर रहे करणी सेना के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि हमे भड़काओ मत, ये फिल्म नहीं लगने देंगें। जोश के साथ होश खो देने वाली स्थिति भी है। सर्व समाज ने चित्तौड़ गढ़ के किले को बंद करने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि सर्व समाज ने ये धमकी दी थी अगर 16 नवंबर तक फिल्म पर बैन नहीं लगा तो चित्तौड़ गढ़ में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे। सर्व समाज के आंदोलन से जुड़े जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष उम्मेदसिंह धौली के मुताबिक शुक्रवार को किला पर्यटकों के लिए बंद रहेगा हालांकि किले में रहने वालों की आवाजाही जारी है वहीं ट्रेन भी चित्तौड़ में रुकेगी। रेलवे ने शाही ट्रेन के पर्यटकों को सीधे उदयपुर ले जाने का निर्णय लिया है।
इस दौरान राजपूत समाज की महिलाओं ने दुर्ग पर आक्रोश दिखाया। उन्होंने चेतावनी दी कि सम्मान मिटा जिंदा रहने की हसरत मिट जाएगी, लेकिन ज्वाला से लिखी हुई तारीख मिट पाएगी। महिलाओं ने किले के नीचे बने जौहर भवन में वेदियाें में ज्वाला प्रज्जवलित कर आक्रोश को मुखर किया। फिर तलवारें लिए किले पर पहुंच गईं। जौहर स्थली पर भी प्रदर्शन किया। इधर, भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण सहायक प्रेमचंद शर्मा ने जोधपुर मुख्यालय जाकर किला बंद रहने की जानकारी दी। किसी आंदोलन को लेकर दुर्ग पर पर्यटकों का प्रवेश बंद पहली बार होगा। इससे पहले 1992, 2002 और 2008 में शहर में कर्फ्यू या सांप्रदायिक तनाव के दौरान जरूर पर्यटक दुर्ग पर नहीं जा सके थे, लेकिन तब इसके लिए औपचारिक एेलान नहीं हुआ था।