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देश की आजादी के साथ ही देश के हुए थे दो हिस्से

देश के हुए थे दो हिस्से

नई दिल्ली: 15 अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए बहुत खास है क्योंकि इसी दिन भारत को 200 सालों की गुलामी के बाद भारत को आज़ादी मिली थी, वैसे आपको बता दें कि भारत ही नहीं और भी तीन देश है जिन्हें 15 अगस्त को आज़ादी मिली थी। गुलामी का दर्द क्या होता है ये भारत से ज़्यादा अच्छी तरह कौन समझ सकता है जिसने 200 सालों तक अंग्रेज़ों की गुलामी झेली है। देश को आज़ाद कराने के लिए सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान दी तब जाकर लंबे संघर्ष के बाद देश को आज़ादी मिली।

 

देश के हुए थे दो हिस्से देश की आजादी के साथ ही देश के हुए थे दो हिस्से

 

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भारत 15 अगस्‍त 1947 को आज़ाद हुआ। 15 अगस्त को दुनिया के और तीन देशों को आज़ादी मिली थी और वो देश हैं, दक्षिण कोरिया, बहरीन, और कांगो।
आपको बता दें कि ब्रिटेन तो भारत को 1947 को नहीं बल्‍कि उसके अगले साल 1948 में आजाद करना चाहता था, लेकिन महात्‍मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से अंग्रेज इतने परेशान हो चुके थे कि उन्‍होंने भारत को एक साल पहले ही यानी की 15 अगस्‍त 1947 को ही आजाद करने के फैसला कर लिया।
दक्षिण कोरिया को 15 अगस्‍त 1945 में जापान से आजादी मिली थी।

 

 

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1910 से 1945 तक कोरियाई प्रायद्वीप जापान का गुलाम था. दरअसल आज जिसे हमें दक्षिण कोरिया और उत्‍तर कोरिया के रूप में देख रहे हैं वह 1948 तक संयुक्त था, लेकिन इसे बाद में दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया में बांट दिया गया।

 

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72 वर्ष पहले आजादी के साथ ही देश के नक्शे पर खिंची गई एक अनदेखी लकीर की वजह से अपने ही देश में परदेसी हो गए लाखों लोगों के इतिहास के सबसे बड़े पलायन और उससे जुड़े घटनाक्रम को यहां एक गेरूआ इमारत की चंद दीवारों में सहेजा गया है, जो यादों के ऐसे पन्ने खोलती हैं, जिसके लफ्ज कहीं आंसुओं से धुले हैं तो कहीं खून से तरबतर।

 

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पंजाब के इस ऐतिहासिक शहर में स्वर्ण मंदिर और जलियांवाला बाग से कुछ ही दूरी पर स्थित पार्टिशन म्यूजियम की विभिन्न दीर्घाओं में देश के बंटवारे से जुड़े घटनाक्रम को बयान करने की कोशिश की गई है। अखबारों की बहुत सी कतरने और तस्वीरें उस वक्त की कैफियत बताती हैं। अखंड भारत का एक नक्शा बंटवारे से पहले के स्वरूप का गवाह है।

 

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संग्रहालय की दीवारों पर लगी तस्वीरों में कहीं अपने घरबार छोड़कर पैदल और बैलगाड़ी पर आते लोगों के रेले हैं तो कहीं पहले से लदी रेलगाड़ी पर सवार होने की जिद में मशक्कत करते लोगों की भीड़। कोई बूढ़ी मां को कंधे पर बिठाए महफूज जगह की तलाश में निकल पड़ा है तो कहीं कोई मां भीड़ में अपने बिछड़े बच्चों को ढूंढ रही है। कुछ तस्वीरें अपना सब कुछ गंवा चुके लोगों की बेबसी बयां करती हैं। तमाम तस्वीरों में मंजर भले जुदा है, लेकिन बंटवारे का दर्द और अपनों को खोने की बेबसी लगभग एक ही जैसी है।

 

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देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली, लेकिन उसके बाद लाखों लोगों को एक अनदेखी सीमा ने दो हिस्सों में बांट दिया। लाखों लोगों के लिए उनका अपना देश पराया हो गया। पंजाब और बंगाल में रातोंरात लोग अपने ही देश में परदेसी हो गए और फिर शुरू हुआ इतिहास का सबसे बड़ा पलायन। यह संग्रहालय उन्हीं अभागों की दास्तां बयां करता है।

 

By: Ritu Raj

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