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लॉकडाउन में शराबियों को छू़ट देकर क्या वाकई में सुधर जाएगी अर्थव्यवस्था, क्या रोजगार से ज्यादा जरूरी बन गये शराबी..

sharab 1 लॉकडाउन में शराबियों को छू़ट देकर क्या वाकई में सुधर जाएगी अर्थव्यवस्था, क्या रोजगार से ज्यादा जरूरी बन गये शराबी..

दुनियाभर में कोरोना वायरस से उत्पात मचा हुआ है और कब तक लोग जान और माल का ऐसे ही नुकसान होता रहेगा किसी को नहीं पता।

sharab 2 लॉकडाउन में शराबियों को छू़ट देकर क्या वाकई में सुधर जाएगी अर्थव्यवस्था, क्या रोजगार से ज्यादा जरूरी बन गये शराबी..
दुनिया के बड़े-बड़े देश इस छोटे से वायरस ने पस्त कर दिये हैं। इस बीच अगर बात भारत की जाए तो हमारे देश की स्थिति दुनिया के किसी भी देश से बहुत बेहतर है।

सरकार ने समय पर लॉकडाउन लगाकर इस महामारी को रोकने का काम किया है। इसमें हमें सफलता भी मिलती दिख रही है। तभी तो सरकार ने लॉकडाउन को तीसरी बार बढ़कर और कई सारी छूटे देकर हालातों को सामान्य करने की कोशिश की है।

देश में कोरोना से निबटने के लिए रेड, ऑरेंन्ज और ग्रीन जोन बनाए गये हैं। छूट भी इन्हीं के आधार पर दी गई है। सरकार ने कई सारी छूटों के से साथ एक छूट शराबियों को भी दी है।

आज देशभर के कई शराब खाने सरकारी आदेश के बाद खोल दिए गये। देश के प्रत्येक राज्य में शराब की दुकान खोलने का कारण गिरती अर्थव्यवस्था को संभालना बताया जा रहा है।

यही कारण है कि, कई नियमों के साथ सरकार के द्वारा शराब कूी दुकानें खोलीं गई। लेकिन लोगों की भीड़ ने सभी नियमों और कानून की धजिजयां उड़ाते हुए हाहाकार मचा दिया।

इसलिए हालातों को देखते हुए कई इलाकों में पुलिस को लाठी चार्च करना पड़ा और समय से पहले ही दुकानों को बंद करना पड़ा।

सोशल मीडिया पर शराब के लिए बिलबिलाते लोगों की कई सारी वीडियोज और फोटो शेयर हो रहे हैं। जिन पर लोग खूब मिम्स बना रहे हैं।

हरियाणा कैडर के आईपीएस अधिकारी और साइबर क्राइम में एसपी पंकज जैन ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘तक़रीबन सभी राज्यों ने शराब की दुकान को खोलने की अनुमति दे दी है, क्योंकि आर्थिक हालात बहुत ख़राब हो गए हैं। मतलब हम जिनको बेवड़े समझते थे, वो तो देश की अर्थव्यवस्था के चौथे स्तंभ निकले!’

इसके अलावा भी सोशल मीडिया में कई तरह के व्यंग वायरल हैं। एक यूजर ने लिखा कि अगर आज हरिवंश राय बच्चन होते तो मधुशाला को इस अंदाज में लिखते, ‘कोरोना फैलाते मस्जिद मन्दिर सैनिटाइज करती मधुशाला!’ आपको बता दें कि हाल ही में गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा कि ग्रीन जोन वाले इलाकों में धार्मिक स्थल तो बंद रहेंगे, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं। बेहरहाल ये तो सिर्फ मिम्स हैं जो असर सोशल साइट्स पर चलते रहते हैं।

इस बीच एक सवाल ये भी उठ रहा है कि, लॉकडाउन के बीच शराब की दुकानें क्यों खोली गईं क्या वाकई में इससे देश की अर्थव्यव्स्था सुधर जाएगी?

इस सवाल का जवाब फिलहाल तो किसी के पास नहीं क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का काम आबकारी विभाग भी करता है। इसलिए सरकार का ये फैसला इतना चौंकाने वाला भी नहीं होना चाहिए।

ल़ॉकडाउन के चलते कई राज्यों की तरफ से बहुत पहले से ये मांग की जा रही थी कि, शराब के आदि लोगों की हालात को देखकर शराब की दुकानें खोल दी जाएं। इसलिए सीधे तौर पर सरकार को इस मुद्दे पर गलत ठहराना भी गलत है।
लेकिन इन सब घटनाओं को देखते हुए सवाल तो ये भी बनता है कि, लॉ़कडाउन के चलते बेरोजगार होते लोगों को कैसे संभाला जाएगा।

आने वाले समय में हालत भूखमरी जैसे भी हो सकते हैं। बल्कि कुछ इलाकों से ऐसी खबरें भी आ रही हैं। आपने अकसर ऐसे लोगों के वायरल वीडियों देखे होंगे जो भूख से बिल बिला रहे हैं और उन्हें ढंग से दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है।

https://www.bharatkhabar.com/number-of-people-infected-with-corona-virus-worldwide-is-36-45-lakhs-2-52-lakh-people-died/
क्योंकि देश पहले से ही रोजगार को लेकर मुश्किल में था ऊपर से कोरोना ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया है। जिससे उभरने में सालों लग सकते हैं।

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