नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर सोमवार को एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई गई। जिसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंक्षी मनोहर पार्रिकर सहित एनएसए, आईबी चीफ, डीजीएमओ, गृह सचिव और रक्षा सचिव मौजूद थे।इस बैठक में सभी रणनीति पर चर्चा हुई। सेना प्रमुख ने पीएम को बताया कि सेना किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने उरी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। घटना पर पूरी चर्चा के बाद सरकार का कहना है कि पाकिस्तान के हाथ के सबूत हैं और सोच समझकर होगी कार्रवाई। सूत्रों ने कहा कि डोभाल और अन्य शीर्ष अधिकारियों ने सीमा क्षेत्रों, विशेष रूप से घाटी में नौ जुलाई से जारी अशांति से राजनाथ को अवगत कराया।
गौरतलब है कि रविवार को उड़ी में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा किए गए आतंकवादी हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान चार आतंकवादियों को मार गिराया गया था।राजनाथ ने रविवार को इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि पाकिस्तान को अलग-थलग किया जाना चाहिए। सूत्र बता रहे हैं कि भारतीय सेना एलओसी पर तोपों की तैनाती और अन्य ऑपरेशंस को मंजूरी देने की मांग कर सकती है। यही नहीं भारतीय सुरक्षा बलों का एक बड़ा वर्ग चाहता है कि सरकार सीमा पार हमलों पर भी विचार करे। सुरक्षा बलों का मानना है कि सरकार को पाकिस्तानी सीमा के भीतर सीमित, लेकिन कड़े हमले करने की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए।
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने भारत के आरोपो को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत का ये इतिहास रहा है कि वो किसी भी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को इसका जिम्मेदार ठहराता है। इसके साथ ही जकारिया ने कहा हमने हमेशा भारत से ठोस सबूत मांगें हैं लेकिन वो उसे देने में नाकाम रहा है और वो बिना जांच के हम पर आरोप लगा रहा है।