नई दिल्ली : आखिरकार योगी सरकार दलित कार्ड खेल ही गई। चंद्रशेखर उर्फ रावण के विरुद्ध दर्ज सभी मुकद्दमे वापस ले लिए गए। गौरतलब है कि पिछले वर्ष 9 मई को रामनगर व शहर में भीषण हिंसा का तांडव हुआ था। शब्बीरपुर प्रकरण को लेकर राजपूत और दलितों के भिड़ने की यह परिणति सामने आई थी। इसमें भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण सहित कइयों पर संगीन धाराओं में मुकद्दमे दर्ज किए गए थे।
6 जून को रावण की गिरफ्तारी
वहीं रावण, शब्बीरपुर के प्रधान शिव कुमार व सोनू पर रासुका भी लगा दी गई थी। बाद में राजपूत पक्ष के कुछ लोगों पर भी रासुका लगी थी, जिसे निरस्त कर दिया गया था। 6 जून को रावण की गिरफ्तारी डल्हौजी से की गई थी। 1 नवम्बर को इन पर रासुका तामील कराई गई। इसके खिलाफ भीम आर्मी और परिजन हाईकोर्ट गए। मगर हाईकोर्ट ने भी अर्जी निरस्त कर दी। रासुका का समय पूरा होने से पहले दोबारा रासुका तामील करा दी गई। इससे एक बार फिर इनकी रिहाई का रास्ता बंद हो गया था।
वहीं चर्चा रही कि अंदरखाते सरकार की सेटिंग चलती रही और अब योगी सरकार ने चंद्रशेखर उर्फ रावण व अन्य के विरुद्ध दर्ज सभी मुकद्दमे वापस ले लिए हैं। रासुका भी समाप्त हो गई। इसका आदेश देर शाम को डी.एम. को भी मिला। इसकी खबर लगते ही भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं में हर्षोल्लास का माहौल पैदा हो गया।
रामनगर व छुटमलपुर में जश्न चल रहा था। वहीं जेल के बाहर भी भीम आर्मी कार्यकर्ताओं और मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। देर रात एस.एस.पी. आवास पर अधिकारियों की इस संबंध में बैठक चल रही थी। उसमें इस बात पर मंथन चल रहा था कि रिहाई अभी की जाए या सुबह। इसके बाद भीम आर्मी जिलाध्यक्ष कमल सिंह वालिया ने बताया कि चन्द्रशेखर की रिहाई का आदेश हुआ है। शुक्रवार सुबह 3 बजे के करीब चन्द्रशेखर को जेल से रिहा कर दिया गया।