पांच दिन चलने वाले दिवाली के महापर्व का आगाज धनतेरस से होता है. धनतेरस के पर्व पर माता लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा का विधान है. इस पर्व को धन-धान्य और सुख समृद्धि में वृद्धि करने वाला माना जाता है. धनतेरस का पर्व कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 12 और 13 नवंबर दो दिन धनतेरस मनाया जाएगा.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये माना जाता है कि सोना और चांदी आपको बुरे शगुन और कुछ भी नकारात्मक से बचाते हैं, यही कारण है कि विशेष रूप से धनतेरस पर इन कीमती धातुओं को खरीदना बेहद शुभ माना जाता है.
धनतेरस पर लोग धातु क्यों खरीदते हैं?
धनतेरस पर सोना, आभूषण और बर्तन खरीदने से भी इसकी जड़ लोककथाओं में मिलती है, जिसके अनुसार एक बार हेमा नाम का एक राजा था, जिसके बेटे को उसकी शादी के चौथे दिन मरने की भविष्यवाणी की गई थी. हेमा की बहू ने मृत्यु के देवता यमराज को अपने घर में प्रवेश करने से रोकने के लिए, बहुत से दीयों, सोने के आभूषणों के ढेर और दरवाजे पर चांदी के सिक्कों को रखकर अपने घर में प्रवेश किया.
प्राचीन लोककथाओं के अनुसार, चमकती हुई ज्वैलरी से आने वाली तेज रोशनी और चमकदार दीयों ने यमराज को अंधा कर दिया, जो सांप के रूप में दिखाई दिए और इस तरह वह हेमा के बेटे की जान नहीं ले सके. इस वजह से, यह माना जाता है कि सोने और चांदी के आभूषण या नए बर्तन खरीदने से आप और आपके परिवार के सदस्य किसी भी बीमार से बच सकते हैं. धनतेरस पर धातु खरीदना भी घर में भाग्य, धन और समृद्धि लाता है.