जहां एक तरफ कोरोना ने पूरी दुनिया को थाम दिया है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ चीजों के लिए कोरोना वरदान की तरह साबित हुए है। सालों से इंसानों के स्वार्थ चलते बदहाली झेल रही प्राकृतिक अचानक से चमक उठी है तो वहीं दूसरी देवभूमि उत्तराखंड के भूतिया गांवों की भी काया पलटी हुई नजर आ रही है।
अब आप सोच रहे होंगे कि, हम उत्तराखंड के भूतिया गांवो की क्यों बात कर रहे हैं तो आपको बता दें कारण ही ऐसा है जिसे जानकर आपकी खुशी का कोई ठीकाना नहीं रहेगा।
उत्तराखंड के लगभग 1700 गांव ऐसे थे जिन्हें उत्तराखंड माइग्रेशन डिपार्टमेंट ने भूतिया गांव घोषित किया था। इसके अलावा 1000 गांव ऐसे थे जहां 100 से भी कम लोग बचे थे।
माइग्रेशन कमिशन के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि वे लोग अब सर्वे करा रहे हैं। प्रारंभिक सर्वे में पता चला है कि लगभग 550 गांवों में लोगों की रेकॉर्ड वापसी हुई है।
जो कि काफी अच्छी खबर है। क्योंकि जिन गांवो को लोग छोड़कर गये थे कोरोना ने उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया है। जिसकी वजह से ये भूतिया गांव एक बार फिर से रोशन हो उठे हैं।
इन गावों में ही शामिल है डिफेंस स्टाफ के चीफ बिपिन रावत का गांव। पौड़ी गड़वाल के सैना गांव में सिर्फ दो परिवार ही बचे थे। पिछले महीने गांव में तीसरे घर में रोशनी नजर आई। जिससे यहां के लोगों में उम्मीद जाग गई है।
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रोजगार के लिए शहरों की तरफ बढ़ने के लिए मजबूर हुए लोगों ने एक बार फिर से इन भूतिया गांवो को रोशना से भर दिया है।
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