featured भारत खबर विशेष यूपी राज्य

पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित में कौन जीतेगा रण

up map scst पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित में कौन जीतेगा रण

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में बह रही चुनावी बयार में सियासत का पारा काफी गरम है। सात चरणों में होने वाले चुनावी दंगल को लेकर हर एक राजनीतिक दल अपने-्पने तरीके से जंग के मैदान में कूद पड़ा है। चुनावी रणभेरी बज चुकी है। पार्टियां अपने चुनावी समर को लेकर पूरी कर से अपने समीकरणों को तौल रही हैं। चुनावी समर के कई बड़े समीकरणों के साथ राजनीतिक महारथी अपने दमखम को देखने में लगे हैं।

up map scst पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित में कौन जीतेगा रण

उत्तर प्रदेश का रण सबसे अहम और खास इस लिए बना हुआ है। क्योंकि यहां के विजेता के लिए दिल्ली की केन्द्र की सत्ता की एक बड़ी पकड़ मजबूत होती दिखती है। लेकिन इस समर में जातीय वोटरों का समीकरण किसी भी दल के लिए एक बड़ा और खास मुद्दा है। जिसने जितना समीकरणों को करीब से तौला और देखा उसका पाला उतना ही मजबूत होता है।

पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित

उत्तर प्रदेश का राजनीतिक आंकलन किया जाये तो करीब प्रदेश में कुल आबादी का 40 फीसदी हिस्सा पिछड़े वोटरों का है। इनमें 30 फीसदी केवल अति पिछड़े वर्ग के पाले में जाते हैं। यानी कुल मिलकर देखा जाये तो जाट,यादव,कुर्मी,निशाद, कश्यप, बिन्द, मल्लाह, राजभर, कुम्हार, आदि जाति के वोटर बड़े पैमाने पर सूबे की सियासत में अपना कद रखते हैं। अगर प्रदेश में सत्ता के सीढ़ी चढ़ना होतो इन वोटरों को साधना किसी भी पार्टी के लिए सबसे अहम और खास है। भाजपा ने जितनी बार सत्ता की सीढी चढ़ी उनती बार पिछड़ों के एक बड़े वर्ग को साधा तो सपा के साथ भी यही आलम रहा है। बसपा ने भी इस वर्ग के कई बड़े समुदायों को साधते हुए सत्ता को पाया था। यानी अलग-अलग बिखरे ये पिछड़े और अतिपिछड़े वोटर किसी भी पार्टी की सत्ता की गणित को बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं।

कांग्रेस के लिए पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित

कांग्रेस के पाले में पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित बनती और बिगड़ती रही है। केन्द्र की सत्ता के रूझान के चलते एक जमाने में ये गणित बनती थी। बाद में बिगड़ती चली गई। फिर प्रदेश में जातीय राजनीति में पूरी तरह से बिगड़ कर रह गई है। लेकिन अपनी गणित को साधने के लिए कांग्रेस ने कई पिछड़े चेहरों को अपने पाले में लाकर खड़ा किया है। लेकिन इन चेहरों को लेकर पार्टी के साथ पिछड़े वोटरों का जुड़ाव वोट के तौर पर कोई बड़ा फेरबदल करता नहीं दिखता है। लेकिन इस बार सपा के साथ हुा गठबंधन कई सीटों पर कांग्रेस को पिछड़े वोटरों का लाभ जरूर करा सकता है।

भाजपा के लिए पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग की गणित

भाजपा के लिए पिछड़े वोटरों की सत्ता काफी सहज रही है। बड़े लम्बे समय तक भाजपा सत्ता पर कई बड़े पिछड़े वर्ग को साधकर बैठी रही है। इसके पिछड़े वर्ग पर कई जातियों में वोटरों का बड़ा समूह भाजपा के साथ हमेशा से खड़ा रहा है। लोध और कुर्मी वोटरों का एक बड़ा तकबा भाजपा के साथ हमेशा से सहयोग में खड़ा दिखा है। वहीं इस बार अन्य पिछड़ा वर्ग के कई बड़े चेहरों को पार्टी में लाकर भाजपा ने अपने इस पाले को और भी ज्यादा मजबूत किया है। सत्ता की सीढ़ी चढ़ने को तैयार भाजपा इस बार कुशवाह और मौर्य समाज को अपने पाले में लाने में जुटी है। जिससे उसके किले में पिछड़े वोटरों का प्रतिशत बढ़े और भाजपा के लिए चुनावी दंगल एक बड़ा और ज्यादा ताकतवर बने।

Related posts

उत्तराखंड से हारा कोरोना, मौत के आंकड़ों ने दी बड़ी राहत..

Rozy Ali

शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में दो गिरफ्तार, पुलिस ने किया चालान

Trinath Mishra

Mp: चित्रकूट पहुंचकर राहुल गांधी ने किए कामतानाथ के दर्शन, करेंगे रोड शो

mahesh yadav