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WHO की चेतावनी: नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, टीकाकरण के बाद भी 2021 में हर्ड इम्युनिटी नहीं

WhatsApp Image 2021 01 12 at 12.13.28 PM WHO की चेतावनी: नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, टीकाकरण के बाद भी 2021 में हर्ड इम्युनिटी नहीं

नई दिल्ली। पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन के स्वागत में लगी है और आशा कर रही है कि शायद अब जिंदगी पटरी पर लौट आए। भारत में 16 जनवरी के टीकाकरण का काम शुरु होने जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर टीकाकरण अभियान का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। देशवासियों को बस अब टीके का इंतजार है। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से चेतावनी दी गई है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की प्रमुख वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि भले ही दुनिया भर के देश में अपने यहां कोरोना की वैक्सीन लगवाना शुरू कर दें। लेकिन साल 2021 में हर्ड इम्युनिटी का आना काफी मुश्किल है। क्योंकि कई देशों में सोशल डिस्टेंसिंग और आबादी के बीच का अनुपात इतना असंतुलित है कि वहां पर हर्ड इम्युनिटी आने में ज्यादा समय लगेगा।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि दुनिया के कई देशों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल है। कुछ देशों में लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को मान ही नहीं रहे हैं। इसलिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम के बाद भी इस साल के अंत तक हर्ड इम्युनिटी का आना बेहद मुश्किल लग रहा है। डॉ. सौम्या ने कहा कि हाल के हफ्तों में ब्रिटेन, यूएस, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इजरायल, नीदरलैंड्स जैसे कई देशों में कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू कर दिया गया है। अलग-अलग वैक्सींस से लोगों को कोरोना से बचने में मदद तो मिलेगी] साथ ही जो बेहद संवेदनशील हैं इस बीमारी को लेकर उन्हें आराम मिलेगा। इसके बावजूद साल 2021 में हर्ड इम्युनिटी नहीं आएगी। डॉ. सौम्या ने कहा कि दुनिया के कुछ हिस्सों में भले ही हर्ड इम्युनिटी की घोषणा की जाए लेकिन साल 2021 में दुनिया के सभी लोग इस बीमारी से सुरक्षित नहीं हो पाएंगे। हर्ड इम्युनिटी के लिए पूरी दुनिया के 70 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन करना होगा। तब कहीं जाकर दुनिया की पूरी आबादी कोरोना से सुरक्षित हो पाएगी। हालांकि, कुछ लोगों को डर है कि कोविड-19 बेहद संक्रामक है, इसके नए-नए म्यूटेटेड रूप सामने आ रहे हैं, जो और भी ज्यादा संक्रामक हैं। ऐसे में वैक्सीनेशन प्रोग्राम, हर्ड इम्युनिटी जैसी कई चीजों को झटका लग सकता है।

 

नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन-

WHO निदेशक के सलाहकार डॉ. ब्रूस एलवॉर्ड ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस बात की उम्मीद कर रहा है कि इस महीने के अंत में या फरवरी से दुनिया के कुछ गरीब देशों में वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू हो जाएगा। इसके लिए पूरी दुनिया से एकजुट आने को कहा गया है। हमें कोरोना से बचाव के लिए एकदूसरे का साथ देना ही होगा। तभी सभी देश सुरक्षित रहेंगे। डॉ. सौम्या ने कहा कि अभी जितनी भी वैक्सीन लोगों को लग रही है वो अमीर देशों में लग रही है। गरीब और विकासशील देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाए जा रहे प्रोग्राम COVAX के तहत वैक्सीन की कमी आ रही है। क्योंकि दानदाता देश पहले अपने देश के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए तैयारी में जुट गए हैं। इस बीच नई चिंता बनकर सामने आया है ब्रिटेन और अफ्रीका का नया कोरोनावायरस स्ट्रेन।WHO के मुताबिक हाल में जो कोरोना मामले बढ़े हैं, वो कोरोना वायरस के म्यूटेशन से नहीं बढ़े हैं। बल्कि, लोगों के आपसी मेलजोल से बढ़े हैं। यानी सोशल डिस्टेंसिंग को दरकिनार कर लोग अब घूमने टहलने लगे हैं। नए वैरिएंट के आने से पहले ही कोरोना की दूसरी लहर दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल रही थी।

 

गर्मियों में पूरी दुनिया ने सोशल डिस्टेंसिंग और आइसोलेशन के जो नियम माने उन्हीं नियमों को सर्दियों के आने तक भूल गए। क्रिसमस और नए साल के मौके पर तो लोग ये भी भूल गए कि कोरोना जैसी कोई बीमारी दुनिया में है। इसकी वजह से कोरोना की दूसरी लहर ने दुनिया के कई देशों को अपनी जद में ले लिया। WHO के इमरजेंसी चीफ डॉ. माइकल रयान ने कहा कि वैरिएंट्स की वजह से कोरोना मामलों तेजी नहीं आई है। ये आई है लोगों द्वारा कोरोना से संबंधित नियमों का पालन न करने से। वैरिएंट के आने से कुछ नियमों में बदलाव हो सकता है लेकिन उसे मानना या न मानना तो उस देश के लोगों पर निर्भर करता है। डॉ. माइकल ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वैरिएंट कौन सा है। फर्क इससे पड़ता है कि किस देश के लोग कोरोना से संबंधित नियमों को कितना मान रहे हैं। नहीं मानेंगे तो कोरोना की लहर आती रहेगी। चाहे कितनी भी वैक्सीन लगा लें। आप तब तक सुरक्षित नहीं रह सकते जब तक आप खुद को सुरक्षित रखना नहीं चाहते। (फोटोःगेटी)

 

 

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