Nightingale of India के नाम से जाने जाने वाली लता मंगेशकर की अवाज के सभी दिवाने हैं. न सिर्फ हिंदी उन्होंने मराठी, बंगाली और असमिया भाषा में भी गाने गाए हैं और लोगों के दिलों पर राज किया है. 28 सितंबर 1929 को जन्मीं लता मंगेशकर का असली नाम हेमा मंगेशकर है. उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है.
लेकिन जहां उनके चाहने वाले बहुत लोग हैं वैसे ही उनके दुश्मन भी बहुत हैं. इसी से जुड़ा हम आपको एक ऐसा किस्सा बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आप हैरान हो जाओगे. जब किसी ने उन्हें जान से मारने की कोशिश की थी.
लता मंगेशकर को की गई थी मारने की कोशिश
दरअसल, साल 1962 में फिल्म ‘बीस साल बाद’ के लिए लता मंगेशकर ने एक गाने को रिकॉर्ड करना था. जिसके लिए म्यूजिक डायरेक्टर हेमंत कुमार ने पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन रिकार्डिंग से ठीक कुछ घंटे पहले लता मंगेशकर की तबीयत काफी खराब हो गई. सुबह से उनके पेट में तेज दर्द हुआ और उन्हें उल्टी हुई. लता मंगेशकर के पेट में इतना तेज दर्द था कि वो हिल भी नहीं पा रही थीं.
किसने की लता जी को मारने की कोशिश?
लता मंगेशकर की तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर को बुलाकर उनका चेकअप करवाया गया. डॉक्टर ने आकर लता मंगेशकर की जांच की, उनका एक्स- रे किया गया और दर्द की वजह से उन्हें एंजेक्शन दिया. लता मंगेशकर तीन दिन तक मौत से जूझती रहीं. करीब 10 दिन बाद उनकी सेहत में सुधार आने लगा तो डॉक्टर ने बताया कि लता के खाने में स्लो पॉइजन यानी धीमा जहर दिया गया है, जिसके कारण वो बहुत कमजोर हो गईं. लता मंगेशकर तीन महीने तक पलंग पर थीं. हैरान करने वाली बात यह थी कि इस घटना के बाद उनका कुक अचानक गायब हो गया, उसने लता जी से पहले इंडस्ट्री के कुछ और लोगों के घर काम किया था. ऐसे में उनकी बहन उषा मंगेशकर ने खुद उनके लिए खाना बनाने का फैसला किया. इस हादसे के बाद राइटर मजरूह सुल्तानपुरी रोज शाम 6 बजे उनके घर आते थे. मजरूह पहले खुद खाना चखते थे और फिर लता उस खाने को खाती थीं. वो घंटों लता दीदी से बात करते और कहानी-कविता सुनाते थे.