लखनऊ: भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष इन दिनों उत्तर प्रदेश के दौरे पर थे, जहां उन्होंने राज्य सरकार के मंत्रियों के साथ अहम बैठक की। इस दौरान महामारी के बीच सरकार के कामकाज का लेखा-जोखा भी लिया गया। उनका यह दौरा बीजेपी से ज्यादा विपक्ष के लिए चर्चाओं का विषय बन गया। अखिलेश यादव से लेकर अन्य विपक्षी नेताओं ने इसे भाजपा की राजनीतिक उठापटक बताया।
बीजेपी में मजबूत चेहरा हैं बीएल संतोष
बीजेपी संगठन और RSS के बीच तालमेल बिठाने के लिए संगठन महासचिव का पद पार्टी में बनाया गया है। इस पर 2019 के पहले तक रामलाल नियुक्त किए गए थे। उनकी जगह पर बीएल संतोष को राष्ट्रीय संगठन महासचिव बनाया गया था। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद इस पद की काफी महत्ता है। बीएल संतोष ने दक्षिण भारत में लंबे समय तक पार्टी के लिए प्रचार प्रसार का काम किया। कर्नाटक की राजनीति में उनका अहम योगदान रहा है।
2008 के कर्नाटक चुनाव में बनाई रणनीति
बीएल संतोष कर्नाटक में 2008 के दौरान प्रदेश संगठन में यह पद RSS कोटे से मिलता है। 2008 के तत्कालीन विधानसभा चुनाव में प्रचारक के रूप में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। इसी का नतीजा रहा कि भारतीय जनता पार्टी ने दक्षिण भारत के इस सूबे में बेहतर प्रदर्शन किया। बीएल संतोष ने लंबे समय तक RSS के प्रचारक के रूप में भी काम किया है। इसके बाद उन्हें बीजेपी के अंदर काम करने का मौका मिला।
संगठन में मजबूत पकड़ होने के कारण बीजेपी के अंदर बीएल संतोष का अहम किरदार है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव का पद पार्टी में अध्यक्ष के बाद सबसे ताकतवर होता है। RSS से प्रतिनियुक्ति पर यह किसी प्रचारक को मिलने वाला पद है। इसी तर्ज पर प्रदेश में भी संगठन मंत्री का पद आरएसएस के लोगों को दिया जाता है। इनका मुख्य काम संगठन और पार्टी के बीच में तालमेल को बिठाकर रखना है।