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एके शर्मा का मोदी कनेक्‍शन! इस दिलचस्‍प वाकये से जीता था भरोसा    

एके शर्मा का मोदी कनेक्‍शन! इस दिलचस्‍प वाकये से जीता था भरोसा    

लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में एक ओर जहां कोरोना संक्रमण पर पूरी तरह से काबू पाया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर राजनीतिक उठा-पटक भी जारी है।

प्रदेश के सियासी गलियारों में एके शर्मा यानी अरविंद कुमार शर्मा के नाम के कयास और चर्चाएं तेजी से चल रही हैं। कयास और चर्चाएं तेज हैं कि एके शर्मा को विधानसभा चुनाव से पहले डिप्‍टी सीएम यानी उप मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है।

1988 बैच के आइएएस एके शर्मा

एके शर्मा 1988 बैच के गुजरात कैडर के आइएएस अधिकारी थे। इन्‍होंने गुजरात में वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2013 तक नरेंद्र मोदी के साथ विभिन्न पदों पर कार्य किया है। एके शर्मा ने इसी साल 14 जनवरी को लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की और फिर विधान परिषद सदस्‍य (MLC) बनाए गए।

अरविंद कुमार शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत ही करीबी और विश्‍वासपात्र माना जाता है। उन्‍होंने लंबे अरसे तक उनके साथ काम भी किया है। ऐसे में हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि एके शर्मा पीएम मोदी के इतने घनिष्‍ठ विश्‍वासपात्र बने कैसे? तो आइए आज हम इससे जुड़े एक दिलचस्‍प वाकये के बारे में बताते हैं…

तत्‍कालीन सीएम मोदी के सचिव बने

वर्ष 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्‍यमंत्री पद पर आसीन हुए। नियम है कि राज्यों के मुख्‍यमंत्री अपने सचिव के तौर पर विश्वासी ब्यूरोक्रेट को नियुक्त करते रहे हैं। ऐसे में सीएम बने नरेंद्र मोदी ने एक वरिष्‍ठ आइएएस अधिकारी के सुझाव के बाद आइएएस एके शर्मा पर अपना विश्‍वास जताया।

इसके बाद कई ऐसे मौके और मामले आए, जब अरविंद कुमार शर्मा ने इस विश्वास को पुख्ता किया। धीरे-धीरे वह तत्‍कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के नैन तारे बन गए। मीडिया रिपोर्ट्स भी कहने लगीं कि एके शर्मा इतने प्रिय रहे कि जहां-जहां मोदी गए हैं, वहां-वहां वह नजर आए।

अब हम आपको बताते हैं उस दिलचस्‍प वाकये के बारे में, जिससे प्रधानमंत्री मोदी का विश्‍वास एके शर्मा पर और मजबूत हुआ था।

दरअसल, टाटा कंपनी पश्चिम बंगाल में नैनो प्लांट लगा रही थी, लेकिन ममता एंड टीम उसका विरोध कर रही थी। धीरे-धीरे मामला बहुत बढ़ गया। इस मौके पर गुजरात ने भुना लिया और टाटा को जिले के साणंद में जमीन देने की बात की।

टाटा नैनो को गुजरात लाने में अहम भूमिका

मगर, इस जमीन को लेकर कुछ पेंच फंस गया। ये केस पहुंचा आइएएस अधिकारी व मुख्‍यमंत्री के सचिव अरविंद कुमार शर्मा के पास। इसमें उन्होंने अपना हाथ घुमाया और साणंद की जमीन पर फंसा पेंच खुल गया। वहां टाटा नैनो की शुरुआत हो गई।

इसके अलावा एके शर्मा ने राज्य में निवेश और वाइब्रेंट गुजरात समिट के आयोजनों में भी अहम भूमिका निभाई। अरविंद कुमार शर्मा सिर्फ मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही नहीं रहे बल्कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी के साथ रहे और लंबा साथ निभाया। इसी साथ ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का घनिष्ठ और करीबी बनाया है।

VRS लेकर भाजपा में हुए शामिल

गौरतलब है कि 12 जनवरी, 2021 को एके शर्मा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले लिया। उनकी सेवानिवृत्ति में दो साल ही बच रहे थे। फिर 14 जनवरी को उन्होंने लखनऊ में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली और एमएलसी बनाए गए। उसी समय से उन्‍हें डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चा चल रही है।

कोरोना काल में निरंतर सक्रियता

इसी बीच यूपी में कोरोना संक्रमण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड नियंत्रण में ‘वाराणसी मॉडल’ की तारीफ की, जो पूर्वांचल का ही हिस्सा है। दरअसल, एके शर्मा वाराणसी व पूर्वांचल के आस-पास कोविड नियंत्रण से जड़ी रणनीति बनाने व उसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। पूर्वांचल के इलाके में उनकी सक्रियता खूब दिखी। पूर्वांचल के जिलों में एके शर्मा समीक्षा बैठक को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते देखे गए। वह काशी ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के 20 अन्य जिलों में भी लगातार सक्रिय हैं।

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