केन्द्र सरकार की तरफ से बीते 17 सितम्बर 2020 से जारी तीनों कृषि कानून के विरोध में पिछले एक वर्ष से जगह जगह किसान आंदोलन कर विरोध प्रदर्शन करते रहे वही सैकड़ों किसान आंदोलन की बाली भी चढ़े और आज गुरु नानक जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की घोषणा करने के बाद किसान इसे किस नजर से देखते हैं किसानों की कहानी किसानों की जुबानी। वही सभी देशवासियों को किसानों मजदूरों को बधाई देने के साथ-साथ यह भी कहना चाहूंगा कि यह देश के मजदूरों किसानों के लंबे संघर्ष का परिणाम है जिन्होंने एक बहुत ही मजबूत संघर्ष इस सरकार के सामने किया।
बता दें कि इस संबंध में हमारे संवाददाता ने किसानों से बात की तो उनका कहना हैं कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून को संसद में पूरी तरह रद्द नही करते तब तक यह कहना मुश्किल हैं कि प्रधानमंत्री का यह निर्णय वास्तविक किसानों के हित के लिए हैं या फिर सिर्फ चुनबी जुलमा। वही प्रधानमंत्री की इस घोषणा का श्रेय हमारे किसान आंदोलन के सभी शहीदों को जाता है संयुक्त किसान मोर्चा की प्रतिक्रिया के रूप में कहना है कि प्रधानमंत्री ने अभी तीनों कृषि कानून रद्द करने की घोषणा की है जो स्वागत योग्य है।
वहीं इसके साथ ही एमएसपी की गारंटी और अन्य किसान मुद्दों पर भी बातचीत होना जरूरी है और जब तक संसद में तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते तब तक आंदोलन जारी रहेगा हम सरकार का धन्यवाद भी करते हैं और साथ ही एमएसपी व अन्य मुद्दों पर सरकार को बातचीत करने की पहल करने की भी अपील करते हैं और सभी देशवासियों से अपील है कि यह आपके संघर्ष का मुकाम है और जब तक सरकार संसद में कानून रद्द नहीं कर देती तब तक संयम भी बनाए रखें और खुशी भी मनाए। संयुक्त किसान मोर्चा विचार विमर्श के बाद आगे की कार्यक्रम की घोषणा करेगा।