कठुआ गैंगरेप और हालिया रेप के मामलों के बाद देशभर में आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग तेजी से बढ़ रही है। जिसके बाद महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि सरकार बलात्कार के आरोपियों को मौत की सजा देने कि लिए संशोधन करने पर विचार कर रही है। जिसके लिए केंद्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक पत्र जमा करवाया गया है। जिसमें केंद्र की तरफ से कहा गया है कि उसने पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसके अंतगर्त 0-12 साल की उम्र के बीच की बच्चियों के साथ रेप करने वालों को कम से कम मौत की सजा देना सुनिश्चित किया जाएगा। केंद्र ने दायर की गई एक जनहित याचिका के जवाब में अपनी रिपोर्ट जमा करवाई है। इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

क्या पोक्सो एक्ट?
पॉक्सो, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) का संक्षिप्त नाम है। पॉक्सो एक्ट-2012 के अंतर्गत बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पॉक्सो एक्ट-2012 बनाया था।
वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। पॉक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है, इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर 5 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। इस एक्ट को बनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि बच्चे बहुत ही मासूम होते हैं और आसानी से लोगों के बहकाबे में आ जाते हैं। कई बार तो बच्चे डर के कारण उनके साथ हुए शोषण को माता पिता को बताते भी नहीं है।
क्या है सजा का प्रावधान?
साल 2012 में बने इस कानून में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई हैं। जिसका सख्ती से पालन होना भी सुनिश्चित किया गया है। इस अधिनियम की धारा 4 में वह मामले आते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो। इसके अंतगर्त सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है।
पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है. जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है
इसके बाद पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के अंतगर्त वह मामले पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो। इसमें दस साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 में वह मामले आते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांक के साथ छेड़छाड़ की जाती है। इसमें आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने के बाद पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
10 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ किसी भी तरह का यौन व्.वहार का मामला इस एक्ट के दायरे में आता है। साथ ही यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है।