नई दिल्ली। कुछ ग्रंथो से पता चलता है कि होली से 8 दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत होती है और इन 8 दिनों को कोई भी शुभ काम के लिए अशुभ माना जाता है। इस मान्यता के यूं तो बहुत से कारण बताए जाते है लेकिन कुछ ग्रंथो में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि होली से 8 दिन पहले हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद पर काफी यातनाएं देनी शुरु कर दी थी और आंठवे दिन होलिका की गोद में प्रहलाद को बैठा कर मारने की कोशिश की थी।
लेकिन इस आग में होलिका जिसको ना जलने का वरदान मिला था वो जल जाती है और बालक प्रहलाद बच जाते है। प्रहलाद के इन दिनों को शुभ नहीं माना जाता इसलिए होली से पहले के 8 दिनों को अशुभ माना जाता है।
इन दिनो आप किसी भी मांगलिक कार्य को ना करें क्योंकि किसी भी अच्छे काम की शुरुआत एक शुभ समय में करनी चाहिए। कहा जाता है कि कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत अगर शुभ समय में की जाए तो इससे उस कार्य के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।
लेकिन अगर आपको कोई ऐसा काम है जिनको आप नहीं टाल सकते तो वो काम आपको कर लेने चाहिए। वैसे तो होलाष्टक भारत के सिर्फ कुछ राज्यों जैसे पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, मध्य प्रदेश में ही ज्यादा प्रचलित है।
होलाष्टक के समय में मौसम मे भी बदलाव होता है। इस समय में सर्दियां जा रही होती है और गर्मियां आ रही होती है। मौसम के इस बदलाव से लोगों के शरीर पर भी असर होता है। इसलिए ऐसे समय में महत्वपूर्ण फैसले या मांगलिक काम को करने से बचना चाहिए।
यह समय होलिका के जलते ही खत्म हो जाता है और इसके बाद आसमान में उड़ता गुलाल और बाकी रंग पूरे मौसम को बदल देते है साथ ही माहोल भी बदल जाता है। यह रंग अपने साथ नई उल्लास और उमंग तो लाते ही है। साथ ही सब खुश हो कर अपने कामों में लग जाते है और अपने जरुरी कामों को पूरा कर सकते है।