नई दिल्ली। भारत में हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में भगवान गणेश की स्थापना करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी की शुरुआत 13 सितंबर से हो रही है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से शुभ कार्य में कोई बाधा नहीं आती है। इसलिए किसी भी काम को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। हालांकि कोई भी पूजा प्रसाद के बिना पूरी नहीं होती है और भगवान गणेश को मोदक काफी प्रिय हैं। जिसके कारण उनको मोदक का भोग भी लगाया जाता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि बप्पा को मोदक इतने प्रिय क्यों हैं?
हिन्दू पौराणिक कथाओं के मुताबिक गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है, जिसके कारण इन्हें एकदंत भी कहा जाता है। मोदक की एक खासियत यह है कि इन्हें तलकर और स्टीम करके दोनों तरह से बनाया जा सकता है। दोनों ही तरह से बने मोदक काफी मुलायम और आसानी से मुंह में घुल जाते हैं, इसलिए टूटे हुए दांत के बावजूद भगवान गणेश इसे आसानी से खा लेते हैं। इस कारण भगवान गणेश को मोदक काफी पसंद हैं।
मोदक ज्ञान का प्रतीक
भगवान गणेश को मोदकप्रिय भी कहा जाता है। मोद का अर्थ ‘आनंद’ से है। वहीं गहराई से इसके अर्थ के बारे में जाना जाए तो तन के आहार से लेकर मन के विचार सब सात्विक और शुद्ध होना जरूरी होता है। वहीं मोदक ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है। जिस कारण भी यह ज्ञान के देवता भगवान गणेश को काफी प्रिय हैं। इसकी एक खासियत यह यह भी है कि मोदक बाहर से कठोर लेकिन अदंर से काफी नरम और मिठास से भरपूर होता है। ठीक वैसे ही घर का मुखिया ऊपर से अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्ती दिखाता है जबकि अंदर से नरम रहकर सभी का पालन पोषण भी करता है।
कहा जाता है चतुर्थी को सभी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता भगवान गणेश का जन्म मध्यकाल में हुआ था। गणपति की कृपा साल भर बनी रहे, इसलिए इस साल 10 दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर लोग बप्पा की घर में स्थापना करते हैं और उनकी नियमित तौर पर पूजा अर्चना करते हैं।
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