मोदी सरकार ने खरीफ की फसलों के दामों में न्यूनतम समर्थन मूल्य में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। किसानों के हित की आते ही सबसे पहले स्वामीनाथन रिपोर्ट पर ध्यान जाता है। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने किसानों के हित में सराहनीय कदम उठाया है।
किसान संगठन हर बार स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग करते आए हैं
आपको बता दें कि किसान संगठन हर बार स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने की मांग करते आए हैं। बताते चलें कि आखिर क्या थी स्वामीनाथन रिपोर्ट? प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। स्वामीनाथन कृषि क्षेत्र में जेनेटिक वैज्ञानिक हैं।स्वामीनाथन तमिलनाडु से हैं। प्रोफेसर ने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए।
किसानों की दशा की जांच कर रिपोर्ट में जो बातें कहीं उनमें से मुख्य हैं
आपको बता दें कि स्वामीनाथन कमेटी ने किसानों की दशा की जांच कर रिपोर्ट में जो बातें कहीं उनमें से मुख्य हैं। फसल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम किसानों को मिल सके किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराएहो जाएं। गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए।महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं।किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए। ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके।
कांग्रेस सरकार ने किसानों की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक आयोग का गठन किया। जिसे स्वामीनाथन आयोग कहा गया।जिसके बाद आयोग ने एक रिपोर्ट दी जिसको आज तक लागू नही किया गया। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट इस रिपोर्ट को लागू कर दिया जाए तो किसानों का काफी फायदा होगा।
18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था
अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक सुधार करने के लिए 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने पांच रिपोर्ट सौंपी बनाई थी।
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के लागू होने से किसानों की दशा बदल सकती है
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया। अतिरिक्त और बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक देना आदि है। आयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष बल दिया गया है। जिसके लागू होने से किसानों की दशा बदल सकती है।
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रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है
उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है। छोटे किसान को फायदा मिल सके,किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य नकदी फसलों तक सीमित न रहें। इस लक्ष्य से ग्रामीण ज्ञान केंद्र और बाजार का दखल स्कीम भी लांच करने की सिफारिश की थी।
11 सितंबर 2007 को कांग्रेस सरकार ने स्वीकार किया था
किसान संगठनों ने कई बार इसकी मांग की कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए। और किसानों ने मोदी सरकार को बारे में इसको लेकर कहा कि रिपोर्ट के बारे में मोदी सरकार मौन है। 2006 में जो सिफारिशें स्वामीनाथन आयोग ने दी थीं। मालूम हो कि 11 सितंबर 2007 को कांग्रेस सरकार ने इसको लागू करने की हामी भर ली थी।