पश्चिमी देशों ने रूस की सैन्य खुफिया एजेंसी जीआरयू पर बड़े साइबर हमले करने का आरोप लगाया है। नीदरलैंड्स और ब्रिटेन ने आरोप लगाया है कि रूसी हैकरों ने रासायनिक हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था और 2014 में यूक्रेन के ऊपर मलेशियाई विमान को गिराने की घटना की जांच पर हमला किया गया। दोनों मामलों में रूस ने साइबर हमला करके निष्कर्षो के साथ छेड़छाड़ की कोशिश की।
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बता दें कि रूस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पेंटागन एक गुप्त अमेरिकी जैविक हथियार कार्यक्रम चलाता है। जिसमें जहरीले मच्छर, टिक (एक प्रकार का जहरीला कीड़ा) और बहुत कुछ शामिल है। कल यानी कि गुरुवार को हुये घटनाक्रम का केंद्र रूस की सैन्य खुफिया एजेंसी जीआरयू रहा है। बता दें कि खुफिया एजेंसी जीआरयू विदेशों में रूसी हस्तक्षेप का विस्तार करने की फिराक में रहता है!
बीते रोज अमेरिकी अधिकारियों ने जीआरयू के 7 अधिकारियों पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की हैकिंग का आरोप लगाया है। वहीं ब्रिटिश और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने जीआरयू पर 2017 में यूक्रेन पर एक विनाशकारी साइबर हमला करने, 2016 अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने वाली ईमेल लीक कराने और खतरनाक हैकिंग से संबंधित अन्य घटनाओं को लेकर आरोप लगाया है।
डच अधिकारियों ने आरोप लगाया कि जीआरयू के एजेंटों ने दुनिया के रासायनिक हथियारों की निगरानी करने वाली संस्था ‘ऑर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वीपन्स’ को हैक करने की कोशिश की और वे उसमें असफल रहे।