नई दिल्ली। यहां कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने लगातार चौथे दिन सोना जीता। वेटलिफ्टर पूनम यादव ने 69 किग्रा कैटेगरी में 222 (स्नैच में 100 और क्लीन एंड जर्क में 122) किग्रा का वजन उठाकर गोल्ड मेडल जीता। इंग्लैंड की सारा डेविस ने सिल्वर और फिजी की अपोलानिया वायवाय ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। पूनम की माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटी ने तंगी के बावजूद अपना संघर्ष जारी रखा। एक वक्त ऐसा भी आया, जब बेटी को प्रैक्टिस कराने के लिए परिवार को मवेशी बेचने पड़े थे। ग्लासगो में ब्रॉन्ज जीती थी तब परिवार के पास मिठाई बांटने के लिए भी पैसे नहीं थे।
2 कैटेगरी में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय
– पूनम कॉमनवेल्थ गेम्स में दो अलग-अलग कैटेगरी में पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय वेटलिफ्टर हो गईं हैं। उन्होंने ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 63 किग्रा कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता था।
– उनसे पहले यह कारमाना संजीता चानू ने किया। उन्होंने इस कॉमनवेल्थ गेम्स में 53 किग्रा कैटेगरी में 192 किग्रा वजन उठाकर गोल्ड जीता है। ग्लासगो में उन्होंने 48 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता था।
पूनम ने ऐसे जीता गोल्ड
स्नैच
पहली कोशिश:95 किग्रा
दूसरी कोशिश:98 किग्रा
तीसरी कोशिश:100 किग्रा
– स्नैच में पूनम और फिजी की अपोलानिया ही सबसे आगे थीं।
क्लीन एंड जर्क
पहली कोशिश:118 किग्रा
दूसरी कोशिश:122 किग्रा (फाउल)
तीसरी कोशिश:122 किग्रा
इंग्लैंड की सारा ने जीता सिल्वर
स्नैच
पहली कोशिश:92 किग्रा
दूसरी कोशिश:95 किग्रा (फाउल)
तीसरी कोशिश:95 किग्रा
क्लीन एंड जर्क
पहली कोशिश:119 किग्रा
दूसरी कोशिश:122 किग्रा
तीसरी कोशिश:128 किग्रा (फाउल)
– सारा ने पहले 124 ऑप्ट किया था, लेकिन गोल्ड जीतने की ख्वाहिश में फैसला बदलकर 128 किग्रा आप्ट किया था।
फिजी की अपोलानिया ने बॉन्ज जीता
स्नैच
पहली कोशिश:97 किग्रा
दूसरी कोशिश:100 किग्रा
तीसरी कोशिश:103 किग्रा (फाउल)
क्लीन एंड जर्क
पहली कोशिश:115 किग्रा (फाउल)
दूसरी कोशिश:116 किग्रा
तीसरी कोशिश:122 किग्रा (फाउल)
पूनम ने ग्लासगो में 63 किलोग्राम कैटेगरी में जीता था ब्रॉन्ज
2014, ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स: 63 किलोग्राम कैटेगरी में ब्रॉन्ज
2017, कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप (गोल्ड कोस्ट): 69 किग्रा कैटेगरी में सिल्वर
2015, पुणे में हुई कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप: 63 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड
2014, अलमाटी (कजाखिस्तान) वर्ल्ड चैम्पियनशिप: 63 किग्रा कैटेगरी में 20वें नंबर पर रहीं थीं।
2017, अनॉहाइम (अमेरिका) में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप: 69 किग्रा कैटेगरी में 9वें नंबर पर रहीं थीं। तब उन्होंने 218 किग्रा (स्नैच में 98 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 120 किग्रा) का वजन उठाया था।
भूखे रहकर किया गुजारा
– पूनम की फैमिली वाराणसी के दांदुपुर में रहती है। मां उर्मिला ने कहा कि बेटी ने काफी स्ट्रगल किया। हम वो पल नहीं भूल सकते, जब कई बार भूखे भी रहना पड़ा। पूनम के खेलने पर लोग ताने मारते थे, आज वही सलाम करते है।
– उर्मिला ने बताया कि 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में जब बेटी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता तो हमारे पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मिठाई बांट सके। तब पूनम के पापा कहीं से पैसों का इंतजाम करके मिठाई लाए। तब घर में खुशियां मनाई गई थीं।
7 साल में ऐसे बदली किस्मत
– पिता कैलाश यादव ने बताया कि ओलिम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से यही सपना था कि मेरी बेटी भी मेडल लाए। 2011 में पूनम ने प्रैक्टिस शुरू की। घर और खेतों का सारा कामकाज भी वही करती थी। गरीबी के चलते उसे पूरी डाइट भी नहीं मिल पाती थी। फिर अपने गुरु स्वामी अगड़ानंद जी ने मुझे स्थानीय समाजसेवी और नेता सतीश फौजी के पास भेजा। उन्होंने पूनम को खिलाड़ी बनाने में पूरी मदद की और करीब 20 हजार रुपए महीना खर्च दिया। ग्लासगो कॉमनवेल्थ में हिस्सा लेने के लिए हमारे पास पैसे नहीं थे। तब भैंसों को बेच दिया और करीबियों से 7 लाख रुपए उधार लिए। यहां ब्रॉन्ज मेडल लाकर उसने सबका सपना पूरा कर दिया।
– पूनम ने फिलहाल बीए फाइनल ईयर की पढ़ाई कर ली है। रेलवे में वे टीटीई की नौकरी भी कर रही हैं।
– उनके 2 भाई और 4 बहनें हैं। दोनों भाई आशुतोष और अभिषेक हॉकी के नेशनल प्लेयर हैं।