भोपाल। चुनाव आयोग ने सरकार से कहा कि लोक सभा और विधान सभा के चुनाव सितंबर 2018 में एक साथ कराने में सक्षम है। जबकि बीजेपी इस मांग को इस मांग को लगातार चुनाव आयोग समक्ष उठाती रही है। लेकिन सभा राजनीत्क दलों की इस पर एक राय न होने की वजह से चुनाव आयोग असमजस की स्थिति में है जिसके सिलसिले में निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने बीते बुधवार को कहा कि देश में लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए निर्वाचन आयोग अगले साल सितंबर तक जरूरी सामानों से सक्षम हो जाएगा। रावत ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि केंद्र सरकार ने निर्वाचन आयोग को पूछा था कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सक्षम होने के लिए उसे किस चीज की जरूरत है। इसके जवाब में निर्वाचन आयोग ने नई ईवीएम एवं वीवीपीएटी मशीनें खरीदने के लिए केंद्र से कोष की मांग की थी। यह हमें मिल भी गया है।
उनका कहना है कि निर्वाचन आयोग लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्चक संसाधन सितंबर 2018 तक जुटाने में सक्षम हो जाएगा। रावत ने बताया कि केंद्र से कोष मिलने के बाद हमने मतदाता पावती रसीद यानी वोटर वेरिफायएबल पेपर आडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) एवं इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की खरीदी के लिए आर्डर भी दे दिये हैं और सितंबर 2018 तक इस मकसद के लिए निर्वाचन आयोग को 40 लाख मशीनें मिल जायेगी।
वहीं एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वीवीपीएटी खरीदी के लिए हमें 3400 करोड़ रुपये मिले हैं और ईवीएम मशीनों की खरीद के लिए 12,000 करोड़ रुपये मिले हैं। रावत ने बताया कि सितंबर 2018 तक निर्वाचन आयोग लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए आवश्चक संसाधन जुटाने में सक्षम हो जाएगा। लेकिन, एक साथ चुनाव कराने संबंधी अन्य जरूरी प्रावधान करने का दायित्व केंद्र सरकार का है।