बहराइच। बेटी से हुई हैवानियत का पता चलते ही पीड़ित पिता 23 जून 2016 को रिसिया थाने रिपोर्ट दर्ज कराने पंहुचा तो वहां भी उसे निराशा हाथ लगी। पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया लेकिन 14 साल की बेटी को 19 साल कर दिया गया। पुलिस आरोपी को पकड़ लाई लेकिन कुछ ही घण्टों में ये कहते हुए छोड़ दिया गया की डीएनए रिपोर्ट आने के बाद ही गिरफ्तारी की जायेगी। पुलिस की उदासीनता की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी की आज तक रेप पीड़ितों को मिलने वाली सहायता राशि भी इस रेप पीड़िता को नहीं मिली है।
न्याय के नाम पर सिस्टम का मजाक
इस मामले में अपने अपने हिसाब से सभी ने लापरवाहियां बरती। पीड़िता ने अपने पिता के साथ हर उस दरवाज़े को खटखटाया जहां से ज़रा भी इन्साफ की उम्मीदी थी लेकिन हाथ लगी तो सिर्फ निराशा। इस मामले में पुलिस ने भी खूब नियमों की धज्जियाँ उड़ाई। पीड़िता की उम्र को बढ़ा के दिखाने के साथ मेडिकल भी देर से कराया गया यही नहीं आरोपी खुलेआम घूमता रहा लेकिन उसे गिरफ्तार तक करना मुनासिब नहीं समझ गया। समय बीतता गया और अधिकारी बदलते गए लेकिन जांच ठन्डे बस्ते में पड़ी रही।
भारत खबर की पड़ताल में पुलिसिया खामियां आईं नजर
इस मामले की जानकारी पर जब भारत खबर संवादाता ने इसकी ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये जो पुलिसिया लापरवाही को साफ उजागर कर रहे हैं। दो साल से आरोपी पर कार्रवाई करने के बजाए हीलाहवाली के मामले का जब पर्दाफाश किया गया तब जाकर रिसिया थाने की पुलिस टीम ने अपनी तेजी दिखाते हुए आनन फानन में आरोपी को 2 साल के लंबे अंतराल के बाद गिरफ्तार कर जेल रवाना कर दिया लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से मिलने वाली राहत अनुदान राशि अभी तलक पीड़िता के खाते में विभाग द्वारा जमा नहीं करवाई जा सकी है।
अब देखना है कि इस मुद्दे पर कब तलक विभाग की कार्रवाई आगे बढ़ती है। वहीं इस घटना कांड के आरोपी ने गिरफ़्तारी के दौरान बताया कि उसने इस कांड को अंजाम नहीं दिया बल्कि गांव के पूर्व ग्राम प्रधान ने चुनावी रंजिश को लेकर उसे बलात्कार के आरोप में फर्जी आरोप लगवाकर जेल भिजवाने का कांड किया है। अब देखना है कि प्रयोगशाला में लंबित DNA जांच की कार्रवाई में क्या राज बाहर निकल कर सामने आता है।
शशांक कुमार