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देखें विडियो: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर जाने कैसे करें खास तैयारी

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नई दिल्ली। अनेकता में एकता लिये विविध रंगों परिभाषाओं की माला में त्योहारों पर्वों का आध्यात्मिक चिंतन और महत्व भारतीय जनमानस की आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र बिन्दु रहा है। पर्व ही हैं जो इस सम्पूर्ण राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरो अनेक रंगों से सजाते है। भारत में कभी होली के फाग…तो सावन में शिव का अर्चन और चहुं ओर बिखरी हरियाली और भीगते सावन की मद मस्त फुआरों के बीच हरियाली तीज पर सुहानियों और कुंवारी कन्यों का पूजन इन्हीं पर्वों की श्रृंखला में सबसे मोह और आनंद बिखेरने वाला पर्व आता है जिसे नटखट कान्हा के जन्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।

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कहते है जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है। तब भगवान पापियों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए किसी ना किसी रूप में अवतरित होते हैं। द्वापर युग में जब कंस के बढ़ते अत्याचारों से जनता त्राहिमाम करने लगी थी। तब जन मानव का उद्धार करने उद्देश्य से भगवान श्री हरि विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में कंस के कारागार में नटखट कान्हा ने घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।

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इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 14 और 15 अगस्त को पड़ रही है। 14 अगस्त को स्मार्त गृहस्थों द्वारा मनाई जायेगी। तो 15 अगस्त को को वैष्णव संप्रदाय के द्वारा मनाई जायेगी। द्वापर युग में जब कंस के अत्याचारों से धरती त्राही- त्राही कर रहीं थी। तब जन मानव कल्याण के लिए भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार य़ानि कृष्णावतार के रूप में जन्म लिया। जब भगवान का प्राकटय हुआ तब वासुदेव की हाथ की बेढ़िया खुद पर खुद खुल गई। इसके साथ ही सभी पहरेदार मूर्छित हो गये। वासुदेव जी शिशु कृष्ण को टोकरी मे रखकर यमुना पार कर अपने मित्र नंद के यहां गोकुल छो़ड़ आये। बचपन में कृष्ण का आलन पालन नंद जी के यहा गोकुल में हुआ। इसी वजह से कृष्ण को नंदलाला भी कहा जाता हैं।

इस दिन लोग दिन भर व्रत रखते हैं और भगवान की आराधना करते हैं। आईये जानते हैं क्या है व्रत की विधि और अनुष्ठान –
1. जल में तील मिलाकर स्नान करना चाहिए
2.साफ सुथरा वस्त्र पहनना चाहिए
3.भगवान श्री कृष्ण का सच्चे मन से स्मरण करना चाहिए
4.इस दिन अन्न का सेवन ना करें
5.असमर्थ लोग फल का सेवन ना करें
6.भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को लेकर दुध ,घी एंव यमुना के पवित्र जल से स्नान कराएं
7.जन्मोत्सव के बाद कपूर और घी के दीपक से आरती करें
8.मेवा- मक्खन का भोग लगाएं और अन्त में इसे स्वयं भी ग्रहण करें

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