कोरोना को लेकर शुरुआत में हम गलतियां कर देते हैं। हम ये सोचते हैं कि हमारी इम्यूनिटी अच्छी है। मैं सेहतमंद हूं, पौष्टिक आहार ले रहा हूं, रोजाना योग करता हूं तो मुझे कोरोना नहीं होगा। और हम थोड़े लापरवाह हो जाते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि कोरोना अच्छे खासे लोगों को भी अपने चपेट में ले रहा है।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
एक्सपर्ट के मुताबिक कोई कितना भी सेहतमंद क्यों ना हो, उसे भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन और हाथों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। साथ ही अगर आप कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए हैं तो अलर्ट हो जाएं। कुछ दिन आइसोलेशन में रहें और अगर लक्षण दिखे तो जांच करवाएं।
लक्षण दिखने पर ना करें नजरअंदाज
कोरोना वायरस के लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं। ऐसे में लोग सोचते हैं कि शायद ठंडा पानी पी लेने से, या कुछ बाहर का खाने से गला खराब हो गया है। और अपने शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। देखा गया है कि पहले लक्षण हमेशा हल्के होते हैं। जोड़ों में दर्द, हल्की खांसी-बुखार आदि कुछ ऐसे लक्षण है जो लोग छुपा रहे हैं और डॉक्टर के पास नहीं जा रहे। उन्हें अंदाजा नहीं है कि ये लापरवाही पूरे परिवार को बीमार डाल सकती है।
लक्षण दिखने पर करवाएं जरूरी टेस्ट
कोरोना के हल्के लक्षण देखने के बाद लोग उसे वायरल या नॉर्मल इंफेक्शन समझ लेते हैं। कुछ मामलों में इसे टाइफॉइड समझा जा रहा है, और उसी का इलाज हो रहा है। दरअसल टाइफॉइड के लक्षण भी 90 फीसदी कोरोना वायरस जैसे ही होते हैं। इस दौरान भी मरीज की प्लेटलेट्स कम होती हैं, बुखार तेज रहता है। इसलिए बहुत से मामलों में कोरोना वायरस बुखार को सामान्य बुखार या टाइफॉइड समझकर लोग इलाज कर रहे हैं। और नॉर्मल दवाइयां खाते रहते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप RT-PCR और एंटीजन टेस्ट करवाएं। यह दोनों टेस्ट नेगेटिव हो तब भी लक्षणों के आधार पर करोना का इलाज होना चाहिए।
एंटीवायरल दवा देर से शुरु करना गलती
डॉक्टर्स कहते हैं कि कोरोना से होने वाला इन्फेक्शन है तो एंटीवायरल दवाई जल्द शुरू होने से फायदा होता है। वहीं देर से शुरू करने पर उनका सही असर नहीं हो पाता। ये दवाई हल्के लक्षण से मॉडरेट केस में वायरस का सफाया करती हैं। इसलिए ये ना तो देर से देनी चाहिए और ना अपने आप लेनी चाहिए। इसी तरह से स्ट्रेरॉइड को पहले दिन से लेना गलत है। डॉक्टर सही वक्त पर सही दवा देंगे तो मरीज जल्दी ठीक होगा।
ना अपनाएं दूसरों के बताए नुस्खे
कोरोना के 90 फीसदी मामलों में मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन ये ठीक हुए मरीज अपने नुस्खे बांटने लगते हैं। ऐसे में ये सोचना गलत है कि उनके बताए नुस्खे से आप ठीक हो जाएंगे। कोई भी दवाई दोस्त-रिश्तेदार के बताने पर नहीं लेनी चाहिए। हर मरीज की उम्र, दिक्कतें, शारीरिक स्थिति अलग होती है। सबके लिए दवाई अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए सबसे पहले अपने डॉक्टर की बात सुनना जरूरी है।
कोरोना होने पर ना हो पैनिक
कोरोना से बचाव के लिए थोड़ा डर जरूरी है, लेकिन हमें पैनिक होने की जरूरत नहीं है। हालांकि कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट देखकर बहुत से लोग डर जाते हैं। वो इस पर ध्यान नहीं देते कि 99 फीसदी लोग इससे बिल्कुल ठीक हो रहे हैं। अब मरीज पर निर्भर करता है कि वो खुद को 99 फीसदी लोगों में रखना चाहता है, या एक फीसदी में। हम अपने डर को कंट्रोल नहीं कर सकते लेकिन बचाव कर सकते हैं। ध्यान रखें बीमारी हम पर हावी ना हो। इसलिए घबराएंगे तो हमारा शरीर भी हमें अच्छे संकेत नहीं देगा।