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वृंदावन कुंभ: दूसरे शाही स्‍नान से पहले उठी यमुना शुद्धिकरण की मांग

वृंदावन कुंभ: दूसरे शाही स्‍नान से पहले उठी यमुना शुद्धिकरण की आवाज

मथुरा: वृंदावन कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक मेले का पहला शाही स्नान हो चुका है। अब नौ मार्च को दूसरा शाही स्‍नान है। मगर, इससे पहले प्रशासन के सामने यमुना में श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध जल लाने की चुनौती है।

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पहले शाही स्‍नान के दौरान यमुना में गंदा पानी होने के कारण कई साधु-संतों ने स्नान नहीं किया था। वहीं, इससे आहत ब्रजवासियों ने यमुना के स्वच्छ जल को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ से गुहार लगाई है। अब इसके लिए युवा तीर्थ पुरोहित सम्‍मेलन में भी आवाज उठी है।

यमुना शुद्धिकरण के लिए जागरुकता जरूरी

ब्राह्मण सेवा संघ के सांस्कृतिक पंडाल में आयोजित युवा तीर्थ पुरोहित सम्मेलन में युवा उद्योग पति तीर्थ पुरोहित पंडित रंजित पाठक ने कहा, यमुना के अस्तित्व से ही तीर्थ पुरोहितों का अस्तित्व कायम है। यमुना का जल जब तक पूर्ण शुद्ध नहीं होता, तब तक यमुना प्रेमी चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि यमुना शुद्धिकरण के लिए जन जागरुकता बहुत जरूरी है और इसके लिए हमें लगातार प्रयत्न करने होंगे।

 

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पंडित रंजित पाठक ने कहा कि, गंगोत्री से यमुना जल प्रत्येक तीर्थ में पहुंचाने के लिए तीर्थ पुरोहित महासभा संकल्पित है। आवश्यकता है तो इस बात की कि हम यमुना में हो रहे प्रदूषण को रोकने का प्रयास करें और यमुना के वास्तविक स्वरूप से लोगों को परिचित कराकर उन्हें यमुना के प्रति आस्थावान बनाएं। उन्होंने कहा कि, हम सभी यमुना छट के उत्सव को विराट महोत्सव के रूप में मनाकर इस अभियान से जन-जन को जोड़ें। वह दिन दूर नहीं होगा, जब यमुना का जल निर्मल एवं पवित्र होकर श्रद्धालुओं को आनंद की अनुभूति कराएगा।

विप्र समाज को होना होगा संगठित: पंडित तेहरिया  

वहीं, पंडित राजकुमार तेहरिया ने कहा कि विप्र समाज का संगठित होना अत्यंत आवश्यक है। यदि विप्र एक जुट ना हुआ तो उनका अस्तित्व खतरे में आ सकता है। उन्होंने कहा कि मंदिरों एवं यात्रियों पर आश्रित तीर्थ पुरोहितों की आर्थिक दशा कोरोना संकट के समय में दयनीय हो गई थी, उस समय प्रशासन की उपेक्षा के शिकार तीर्थ पुरोहितों को किसी की भी सहानुभूति नहीं मिली। उन्होंने कहा कि, अब समय आ गया है कि समस्त विप्र समाज को संगठित होकर समाज के हित के लिए आगे आना होगा और सरकार को अपनी शक्ति का परिचय देना होगा।

अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के उपाध्यक्ष पंडित नवीन नागर चतुर्वेदी ने कहा कि, विप्र समाज को राजनीति से ऊपर उठकर सोचना होगा। जब तक हम अपने अहम में डूबे रहेंगे, न तो विप्र समाज का भला हो सकता है और न अन्य समाज का। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष को विश्व गुरु की उपाधि से अलंकृत कराने में विप्र समाज की अहम भूमिका रही है। हमें अपने स्वरूप को पहचानने की आवश्यकता है और तभी हम राष्ट्र के मार्गदर्शक की भूमिका में आ सकते हैं।

तीर्थ पुरोहितों पर भी ध्‍यान में मुख्‍यमंत्री

विनोद चतुर्वेदी एवं पंडित चंद्रलाल शर्मा ने कहा, प्रदेश सरकार के मुखिया को चाहिए कि वह तीर्थों के साथ-साथ तीर्थ पुरोहितों पर भी ध्यान दें। बिना तीर्थ पुरोहितों के तीर्थों की पहचान नगण्य है। तीर्थ पुरोहितों एवं तीर्थों का अस्तित्व एक दूसरे का पूरक है। इसके अलावा ब्राह्मण सेवा संघ के अध्यक्ष आचार्य आनंद बल्लभ गोस्वामी व पंडित सत्यभान शर्मा ने कहा, हमें तीर्थ एवं तीर्थ पुरोहितों की समस्यायों पर मंथन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, भारत वर्ष में अनेकानेक तीर्थ हैं, जिनका तीर्थ पुरोहितों से अटूट संबंध है। सरकार को तीर्थों के विकास की योजनाएं इस बात को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए।

इस अवसर पर सभी तीर्थ पुरोहितों का सम्मान उत्तरी उड़ाकर व वृंदावन कुंभ का स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। धन्यवाद ज्ञापन तीर्थ पुरोहित महासभा के नगर अध्यक्ष पंडित नन्द कुमार पाठक ने किया। संचालन आचार्य महेश चंद्र भारद्वाज के किया। इस मौके पर मृदुल कांत शास्त्री, लाला व्यास गोवर्धन, कृष्ण चंद्र गौतम, पंडित जगदीश नीलम, पंडित सुरेश चंद्र शर्मा, रामनारायण ब्रजवासी, नीरज गौड़, आयुष चतुर्वेदी और राधा गोस्वामी समेत अन्‍य लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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