नई दिल्ली। कहते हैं कि भारत त्योहारों का देश है और शायद ये सच भी हैं क्योकि भारत में हर दिन किसी ना किसी भगवना को समर्पित होता है। आज पूरा देश इन्हीं में से एक त्योहार विश्वकर्मा पूजा मना रहा है। विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। कहते हैं कि इसी दिन निर्माण के देवता विश्वकर्मा का जन्म हुआ था विश्वकर्मा को देवशिल्पी यानी कि देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि उन्होंने देवताओं के लिए महलों, हथियारों और भवनों का निर्माण किया था। विश्वकर्मा पूजा के मौके पर ज्यादातर दफ्तरों में छुट्टी होती है और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दौरान औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा करने का विधान है। आइए जानते हैं कि क्यो मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा। और क्या है इसका महत्व-

विश्वकर्मा पूजा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा, विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है। इस पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा को ‘देवताओं का शिल्पकार’, ‘वास्तुशास्त्र का देवता’, ‘प्रथम इंजीनियर’, ‘देवताओं का इंजीनियर’ और ‘मशीन का देवता’ कहा जाता है।
विष्णु पुराण में विश्वकर्मा को ‘देव बढ़ई’ कहा गया है. यही वजह है कि हिन्दू समाज में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। हो भी क्यों न? अगर मनुष्य को शिल्प ज्ञान न हो तो वह निर्माण कार्य नहीं कर पाएगा। निर्माण नहीं होगा तो भवन और इमारतें नहीं बनेंगी, जिससे मानव सभ्यता का विकास रुक जाएगा। मशीनें और औज़ार न हो तो दुनिया तरक्की नहीं कर पाएगी। कहने का मतलब है कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए शिल्प ज्ञान का होना बेहद जरूरी है। अगर शिल्प ज्ञान जरूरी है तो शिल्प के देवता विश्वकर्मा की पूजा का महत्व भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है।
कैसे मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती?
विश्वकर्मा दिवस घरों के अलावा दफ्तरों और कारखानों में विशेष रूप से मनाया जाता है। जो लोग इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, चित्रकारी, वेल्डिंग और मशीनों के काम से जुड़े हुए वे खास तौर से इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन मशीनों, दफ्तरों और कारखानों की सफाई की जाती है। साथ ही विश्वकर्मा की मूर्तियों को सजाया जाता है। घरों में लोग अपनी गाड़ियों, कंम्प्यूटर, लैपटॉप व अन्य मशीनों की पूजा करते हैं। मंदिर में विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति या फोटो की विधिवत पूजा करने के बाद आरती की जाती है। अंत में प्रसाद वितरण किया जाता है।
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