- संवाददाता, भारत खबर
नई दिल्ली। दस दिनों तक चलने वाले भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण को समर्पित जगन्नाथ यात्रा आज से निकाली जाएगी। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को कोई परेशानी न हो इसके खास इंतजाम किए गए हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हिंदूओं के लिए धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
यह यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है, यात्रा में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं।
जगन्नाथ रथयात्रा का क्या है महत्व?
इस रथयात्राा का वर्णन कई प्रकार से होता है किन्तु सबसे प्रचलित कथा है कि एक दिन भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर देखने की चाह रखते हुए उनसे द्वारका के दर्शन कराने की प्रार्थना की थी, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन को रथ में बैठाकर उसे नगर का भ्रमण करवाया था, इसी खुशी में लोगों ने हर साल इस यात्रा को निकालने की प्रथा बना ली।
इस तरह का होता है भगवान का रथ:
यात्रा में कुल तीन रथ होते हैं जो कि लकड़ी के बने होते हैं। इन रथों को इंसान ही खींचता है। जगन्नाथ जी की यात्रा के लिए 16 पहिओ का रथ बना होता है, बलराम के रथ में पहियों की संख्या 14 व बहन सुभद्रा के रथ में पहियों की कुल संख्या 12 होती है। कहते हैं कि इस यात्रा का वर्णन स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण, बह्म पुराण आदि में भी किया गया है।
रथ खींचने का क्या होता है लाभ:
जगन्नाथ रथयात्रा का महत्व बेहद अधिक माना जाता है और कहते हैँ कि जो व्यक्ति इस रथ को खींचते हैं उन्हें सौ यज्ञ के बराबर पुण्य लाभ मिलता हैं। मान्यताओं के अनुसार रथ यात्रा को निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता हैं।