नई दिल्ली। मेरा आधार बनेगा, मेरी पहचान ये श्लोगन अकसर आपने टीवी पर सुना होगा, अखबार के पन्नों पर छपे देखा होगा। ये श्लोगन है भारत के हर नागरिक की पहचान बताने वाले आधार कार्ड का। आधार कार्ड किसी भी इंसान की पहचान बता सकता है लेकिन क्या आधार कार्ड किसी गाय, बछड़े या फिर भैंस की पहचनान बता सकता है।
सुनकर हैरानी हुई ना, जितनी ये बात आपको हैरानी करने वाली उससे भी कहीं ज्यादा ये बात आपको चौंका सकती है कि ऐसा सच में है। दरअसल भाजपा शासित राज्यों में जानवरों के आधार कार्ड बनाने पर विचार किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ऐसा कदम इसलिए उठा सकती है ताकि दुधारू पशुओं की चोरी और लगातार बढ़ रहे तस्करी के मामलों पर रोक लगाई जा सकें। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस योजना को उत्तराखण्ड में सबसे पहले अमलीजामा पहनाया जा सकता है।
रिकॉर्ड रखने में आसानी
रिपोर्ट के मुताबिक गाय और भैंस का आधार कार्ड बनने के बाद सरकार को किस प्रदेश में कितने पशु है इसका रिकॉर्ड रखने में काफी आसानी होगी। साथ ही इन जानवरों की बीमारियों से बचाने के संबंध में भी कामयाबी मिलेगी।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा इस काम की जिम्मेदारी फिलहाल राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम को सौंपी गई है। इसकी देख-रेख नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड करेगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर सब कुछ सही रहा तो जानवरों का आधार कार्ड बनवाने का काम इसी साल जुलाई में शुरू हो सकता है।
गत दिनों आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10 दुधारू पशुओं में से 7 भैंस और 3 गाय शामिल है। इस कार्ड के बन जाने के बाद हर पशु के कान में एक कार्ड लटकाया जाएगा, जिसमें उसकी सभी जानकारियां रहेंगी।