क्या आपने कभी सोचा है कि टॉयलेट के निर्माण से पहले राजा-रानी शौच करने के लिए कहां जाया करते थे। जाहिर सी बात है कि कोई राजा या रानी हर रोज बाहर खेतों में तो जाया नहीं करते होंगे। चलिए हम आपको बताते हैं…
4500 साल पहले भी टॉयलेट !
दरअसल सिंधू घाटी की खुदाई के दौरान यानि करीब 4500 साल पहले भी टॉयलेट होने के साक्ष्य मिले हैं। हालांकि ये आज के जमाने के टॉयलेट से काफी अलग थे। लेकिन इनका रंग रूप कुछ ऐसा ही था। बता दें कि इस काल के टॉयलेट बेहद साधारण हुआ करते थे।
पत्थरों-लकड़ी की सीट पर मिला गोल गड्ढ़ा
साक्ष्य में पत्थरों और लकड़ी की सीट पर गोल गड्ढ़ा पाया गया। जहां टॉयलेट का मल सीधे उसके नीचे किए गए गड्ढ़े में जाता था। हालांकि राजा-रानी के लिए जो टॉयलेट बनाए जाते थे उनमें फल्श की भी व्यवस्था थी। फिर धीरे-धीरे इन टॉयलेट में संशोधित किया गया। और आज मॉर्डन टॉयलेट तक बनने लगे हैं।
वहीं मध्य काल के दौरान सामूहिक टॉयलेट भी थे, जहां कुछ खास समुदाय के लोग एकसाथ बैठकर टॉयलेट किया करते थे।