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Tractor Rally: सुरक्षा व्यवस्था में कहां हुई चूक, टैक्टर रैली के हिंसा में बदलने की पूरी पटकथा

WhatsApp Image 2021 01 27 at 12.06.57 PM Tractor Rally: सुरक्षा व्यवस्था में कहां हुई चूक, टैक्टर रैली के हिंसा में बदलने की पूरी पटकथा

नई दिल्ली। मंगलवार को राजधानी में गणतंत्र दिवस के मौके पर कैसे गणतंत्र का अपमान हुआ यह पुरी दुनिया ने देखा। टैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में 8 बसें, 17 गाड़ियां तो़ड़ी गईं। जमकर तोड़फोड़ के बाद किसानों का जत्था लालकिले पहुंच गया जहां उन्होंने सिख धर्म का झंड़ा लगा दिया। इस पूरे मामले में गृह मंत्रालय की बैठक हुई जिसमें अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने का फैलसा लिया गया। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार बुद्वार सुबह तक दिल्ली पुलिस ने हिंसा फैलाने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में 22 लोगों पर एफआईआर दर्ज की हैं। वहीं हिंसा के बाद दिल्ली में 15 कंपनी अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती होगी। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के बाद दिल्ली इंडिया गेट इलाके को पूरी तरह सील किया गया। वहीं नोएडा, गाज़ियाबाद में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। इसके साथ ही हिंसा के बाद उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं। जिसके चलते पैरामिलिट्री फोर्स के पंद्रह सौ जवान सड़कों पर उतरेंगे।

 

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आपको बतादें कि कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ पिछले दो महीने से आंदोलन जारी है। किसान आंदोलन को आज 64वां दिन है और अभी भी किसान दिल्ली के चारों और डटे हुए हैं। दरअसल, किसानों की सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता के बाद भी सहमति नहीं बन पाई। बतादें कि 10वें दौर की वार्ता में सरकार की तरफ से एक प्रस्ताव रखा गया जिसमें सरकार की तरफ से कहा गया कि हम कानून को दो साल तक रोक सकते हैं और एक कमेटी बनाएंगे जिसमें सरकार और किसान दोनों पक्षों के लोग शामिल होंगे। इसके बाद किसानों ने सरकार के इस प्रस्ताव पर चर्चा की और सरकार का प्रस्ताव ठुकराते हुए फिर कानून रद्द करने की मांग पर अड़ गए। 11वें दौर की बैठक में किसानों ने सरकार का प्रस्ताव ना मंजूर कर दिया। इसी दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि इससे बेहरत हम नहीं कर सकते और अगले दौर की वार्ता कब होगी इसकी भी कोई घोषणा नहीं की गई। आपको बतादें कुछ जानकारों का कहना है कि सरकार का यह प्रस्ताव अब तक का सबसे अच्छा प्रस्ताव था किसान चाहते तो इस प्रस्ताव को मानकर आंदोलन खत्म कर सकते थे गोरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यकक्ष राकेश टिकैत ने पहले ही साफ कर दिया था कि जब तब कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं।

 

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टैक्टर रैली से हिंसा तक-

दरअसल, जब नौवें दौर की किसानों और सरकार के बीच बात हो रही थी तभी राकेश टिकेत ने कहा था कि गणतंत्र दिवस पर एक तरफ टैंक चलेंगे दूसरी तरफ टैक्टर लेकिन सरकार ने इस बयान को हल्के में लेते हुए टाल दिया। किसी को उस समय यह भनक भी नहीं थी कि कुछ ऐसा हो जाएगा। 10वें दौर की वार्ता के दौरान जब किसानों ने टैक्टर रैली निकालने की इजाजत दिल्ली पुलिस से मांगी तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए गेंद पुलिस के पाले में फेंक दी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला कानून व्यवस्था का है पुलिस को पूरा अधिकार है वो निर्देश दे सकती है और गणतंत्र दिवस पर राजधानी में कौन आएगा कौन नहीं आएगा इसका फैसला पुलिस को ही करना है। इसके बाद किसानों की पुलिस अधिकारियों से टैक्टर रैली को लेकर वार्ता हुई जिस दौरान बात नहीं बन पाई। पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ रैली निकालने की इजाजत दी थी लेकिन किसानों ने शर्तों के साथ रैली निकालने से इंकार कर दिया। उसके बाद शनिवार को यानी गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने कुछ गाइडलाइंस के साथ रैली निकालने को कहा। जोकि दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक निकली थी। रैली का रूट दिल्ली का आउटर रिंग रोड रखा गया था। रैली के दौरान तय रूट को छोड़कर समय से पहले किसान बैरिकेड्स तोड़कर दिल्ली में दाखिल हुए। उसके बाद कैसी हिंसा के हालात बने वो तस्वीरें सबके सामने हैं।

 

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ये थी रैली निकालने की शर्तों जो किसानों ने नहीं मानी-

आपको बतादें कि पुलिस द्वारा कुछ गाइडलाइंस जारी की गई थी जिसके मुताबिक रैली आउटर रिंग रोड पर निकलनी थी। टैक्टर के साथ ट्रोली लानी की इजाजत नहीं थी। इसी के साथ किसान संगठनो की तरफ से यह भी कहा गया था कि रैली शान्तिप पूर्ण होगी जोकि नहीं हुई। रैली में किसी भी तरह के हथियार लाने पर प्रतिबंध था लेकिन किसान दोधारी तलवार, डंडे, फरसा आदि लेकर आए। कहा यह भी गया था कि टैक्टर अनुसासन में एक के पीछे एक चलेंगे लेकिन किसानों ने टैक्टर का टैंक बना दिया और जहां जगह मिली तोड़ कर निकल गए। गाइडलाइन के मुताबिक टैक्टर पर सिर्फ पांच लोगों को ही चढ़ने की अनुमति थी लेकिन यहा ट्रोली में भरकर किसान दिल्ली में दाखिल हुए।
इस सब का परिणाम यह हुआ कि पुलिस को लाड़ीचार्ज करना पड़ा और इस पूरी हिंसा में लगभग 300 से ज्यादा पुलिसवाले घायल हुए है। जबकि एक किसान की भी मौत हुई वह मौत किन कारणों से हुई है यह अभी साफ नहीं हो पाया है।

 

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टैक्टर रैली हिंसा में कैसे बदली-

गोरतलब है कि रैली निकालने की इजाजत 12 बजे से पांच बजे थी लेकिन हिंसा की भनक तो तभी लग गई थी जब किसानों ने 9 सुबह 9 बजे ही पुलिस के बैरिकेड्स तोड़ने शुरु कर दिए। जब पूरी दुनिया राजपथ पर भारत की ताकत देख रही थी तब दिल्ली बाॅर्डर पर कानून का मजाक बनाया जा रहा था। टैक्टर का भगाकर पुलिस कर्मियों को कुचलने की कोशिश की गई। टैक्टर के साथ साथ प्रदर्शनकारी घोड़ों पर भी सवार होकर आए थे। हालांकि पुलिस ने तय समय के अनुसार दोपहर 12 बजे बैरिकेड्स हटा दिए थे लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी। जहां पूरा देश अपने गणतंत्र पर भारत की ताकत देश खुद को गोरवांवित महसूस कर रहा था तभी राजपथ से कुछ ही दूर गणतंत्र की चुलें हिलाई जा रही थी। इस दौरान पुलिस ने भी बल का प्रयोग किया और किसानों पर आंसू गैंस के गोले छोड़े।

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देखते ही देखते रैली हिंसा में बदल गई और प्रदर्शनकारी तलवारे लहराने लगे और परिणाम यह हुआ कि राजधानी की पहचान और राष्ट्रीय धरोहर लालकिले की प्राचीर तक आंदोलनकारी टैक्टर लेकर पहुंच गए। इतना ही नहीं देश विरोधी ताकतों को भारत का मजाक बनाने का मौका तो तब मिल गया तब एक आंदोलनकारी ने लाल किले पर अपना झंडा गाड़ दिया। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान जैसे मुल्क भी भारत के गणतंत्र पर ज्ञान देने लगे।

 

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हिंसा के बाद हुई कार्रवाई-

इसके बाद तुरंत गृहमंत्रालय ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हाईलेवल मीटिंग बुलाई और दिल्ली में अतिरक्ति सुरक्षाबल तैनात करने का फैसला लिया गया। इसी के साथ दिल्ली पुलिस ने अब तक 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है वहीं इस हिंसा से किसान संगठनों ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि जो भी दोषी पाया जाए वो आंदोलन छोड़ कर चला जाए।

 

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दिल्ली के ये इलाके बंद, नोएड़ा में इंटरनेट ठप

हिंसा के बाद दिल्ली में 15 कंपनी अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती होगी। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा के बाद दिल्ली इंडिया गेट इलाके को पूरी तरह सील किया गया। वहीं नोएडा, गाज़ियाबाद में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। इसके साथ ही हिंसा के बाद उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए हैं। जिसके चलते पैरामिलिट्री फोर्स के पंद्रह सौ जवान सड़कों पर उतरेंगे।

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गणतंत्र दिवस पर किसानों की हुड़दंगई के बाद लाल किला मेट्रो पर एंट्री बंद की गई इसी के साथ जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन का एंट्री गेट भी बंद किया गया है। इसी के साथ बतादें कि दिल्ली से गाज़ियाबाद या फिर गाज़ियाबाद से दिल्ली जाना वाले एनएच.9 और एनएच.24 को सुरक्षा के लिहाज से बंद कर दिया गया है।

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