महाराष्ट्र। पीएम मोदी स्वच्छ भारत के नाम की माला हमेश जपते रहते हैं। लेकिन अब स्वच्छ भारत अभियान के तहत धोखाधड़ी भी लोग करने लग गए हैं। मामला महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के पाटण गांव से सामने आया है। यहां पर सरकारी कागजात में तो शौचालय बन गए हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
सरकारी कागजात के मुताबिक यहां 112 घरों में शौचालय बनाए गए हैं जिसके तहत गांव को खुले में शौच मुक्त करार दिया गया है और तो और यहां पर पुरस्कार भी दिए गए हैं। कागजी शौचालय तो गांव में बने हुए हैं लेकिन अभी भी ग्रामीण खुले में शौच करने को मजबूर हैं। यह मामला उस वक्त उजागर हुआ जब ग्रामीण गांव में शौचालय बनाने की मांग करने लग गए। ग्रामीणों के मुताबिक उन्हें शौचालय निर्माण के लिए जो राशि मिलनी थी वो अभी तक नहीं मिल पाई है।
ग्रामीणों ने सिर्फ अपने घरों में शौचालय बनाने के लिए गड्ढे खोदे हुए हैं। लेकिन वहां शौचालय अभी तक नहीं बन पाया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या सिर्फ कागजों में शौचालय बनाना ही काफी है या जमीनी हकिकत भी जरूरी है ? सवाल उजागर हो रहा है कि बिना शौचालय ही गांव को शौच मुक्त करार के साथ पुरस्कार भी दे दिया है ?