लखनऊ: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर से अलग नाता है। पहली बार गोरखपुर लोकसभा से 1998 में योगी आदित्यनाथ सांसद बने थे, उसके बाद लगातार 2017 तक वह यहां से जीतते रहे।
2017 विधानसभा चुनाव में एकतरफा ‘भगवा’
गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के अंदर कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें कैंपियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर (शहर) गोरखपुर (ग्रामीण) और सहजनवा हैं। इन सभी जगहों पर भाजपा के उम्मीदवारों में जीत दर्ज की। वहीं अगर जिले पर नजर डालें तो बांसगांव, चौरी चौरा, खजनी में बीजेपी ने जीत दर्ज की। चिल्लूपार में बसपा के उम्मीदवार ने मैदान मारा।
लोकसभा क्षेत्र की सीटों पर एक नजर
कैंपियरगंज- इस विधानसभा सीट से फतेह बहादुर सिंह इस बार भाजपा के टिकट पर 32000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) की तरफ से जीत हासिल की थी, लेकिन 2017 में वह भाजपा की तरफ आ गए।
पिपराइच- विधानसभा सीट में पिछले तीन चुनाव में हर बार नई पार्टी की जीत हुई है। मई 2007 में बसपा, 2012 में समाजवादी पार्टी और 2017 में महेंद्र पाल सिंह ने भाजपा की तरफ से विजय हासिल की। उन्होंने बसपा के उम्मीदवार को 12000 से अधिक वोटों से हराया। यहां बीजेपी बसपा और सपा तीनों के बीच अच्छी टक्कर देखने को मिली थी, इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार अनीता जायसवाल ने 30,000 से अधिक वोट हासिल किए।
गोरखपुर (शहर)- इस विधानसभा सीट पर 1985 में आखिरी बार कॉन्ग्रेस का उम्मीदवार विजई हुआ था। इसके बाद 1989 से लगातार भारतीय जनता पार्टी या उससे जुड़े उम्मीदवार जीते रहे हैं। जिसमें 2002 से पहले अखिल भारत हिंदू महासभा का हिस्सा रहे राधा मोहन दास अग्रवाल ने जीत हासिल की। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। 2017 में भी उन्होंने 60,000 से अधिक वोटों से अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेसी उम्मीदवार को हराया।
गोरखपुर (ग्रामीण)- पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां भारतीय जनता पार्टी जीत हासिल कर रही है। 2012 में विजय बहादुर सिंह विजई रहे। वहीं 2017 में विपिन सिंह ने 4000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की। हालांकि विजय बहादुर सिंह इस बार समाजवादी पार्टी का हिस्सा हो गये थे। उन्होंने जबरदस्त टक्कर दी लेकिन आखिर में जीत विपिन सिंह की हुई। 2022 में यह सीट काफी दिलचस्प होने वाली है।
सहजनवा- गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली यह पांचवीं विधानसभा सीट है, जिसमें मौजूदा विधायक भारतीय जनता पार्टी से शीतल पांडे हैं। 2012 में यहां बहुजन समाज पार्टी की जीत हुई थी, लेकिन इस बार समीकरण बदल गया। अपने नजदीकी उम्मीदवार यशपाल सिंह रावत, समाजवादी पार्टी को बीजेपी के कैंडिडेट ने 15000 से अधिक वोटों से हराया।